पितृ पक्ष 2025 की शुरुआत 7 सितंबर (शनिवार) से हो रही है। यह समय हिंदू धर्म में पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का विशेष अवसर माना जाता है। इस दौरान श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान जैसे धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। साथ ही एक खास परंपरा है – पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना, जो पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है।
पीपल के पेड़ का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में पीपल के वृक्ष को अत्यंत पवित्र माना गया है। शास्त्रों में वर्णन है कि इस वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा, तने में विष्णु और पत्तियों में शिव का वास होता है। यही कारण है कि पीपल को देव वृक्ष कहा जाता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान पितरों का वास पीपल के पेड़ पर माना जाता है। ऐसे में इस वृक्ष की पूजा और इसके नीचे दीपक जलाना पितरों को प्रसन्न करने का एक सशक्त माध्यम माना गया है।
पीपल के नीचे दीपक जलाने का लाभ
- पितृ प्रसन्न होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है।
- कुंडली में स्थित पितृ दोष का असर कम होता है।
- आध्यात्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
दीपक जलाने का सही तरीका
- प्रतिदिन शाम को सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- दीपक जलाते समय पितरों का स्मरण करें, उनसे क्षमा मांगें और आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
- यदि संभव हो तो पितरों के नाम से दान-दक्षिणा भी करें।
सावधानियां और मान्यताएं
- पीपल के नीचे दीपक जलाते समय शुद्धता और श्रद्धा का विशेष ध्यान रखें।
- यह उपाय पितृ दोष निवारण के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है।
- यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से कर्ज, रोग और क्लेश जैसे संकट दूर होते हैं।
अस्वीकरण
यह लेख पौराणिक मान्यताओं और धार्मिक परंपराओं पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी सामान्य आस्था और विश्वास से जुड़ी है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी धार्मिक या ज्योतिषीय उपाय को अपनाने से पहले स्वयं की समझ और विवेक का उपयोग करें।