
नई दिल्ली: 25 जुलाई 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के 4,077 दिनों के लगातार कार्यकाल को पार करते हुए 4,078 दिनों तक लगातार प्रधानमंत्री के रूप में सेवा दी। अब मोदी केवल जवाहरलाल नेहरू के बाद दूसरे स्थान पर हैं, जिन्होंने 6,130 दिनों तक (लगभग 17 वर्ष) निरंतर कार्य किया था।
ऐतिहासिक उपलब्धियां और राजनीतिक मील के पत्थर
नरेंद्र मोदी कई अनूठी उपलब्धियों के साथ उभरे हैं। वे स्वतंत्र भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो स्वतंत्रता के बाद जन्मे हैं, गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री के रूप में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले हैं, और गैर-हिंदी भाषी राज्य से आने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने इतना लंबा कार्यकाल किया।
मोदी पहले गैर-कांग्रेसी नेता हैं जिन्होंने लगातार दो पूर्ण कार्यकाल पूरे किए और स्पष्ट बहुमत के साथ दो बार फिर सत्ता में लौटे। वे इंदिरा गांधी के बाद पहले प्रधानमंत्री हैं, जो लगातार तीन लोकसभा चुनावों (2014, 2019, 2024) में अपनी पार्टी को जीत दिलाने में सफल रहे हैं।
चाय बेचने वाले से विश्व नेता तक
गुजरात के वडनगर में जन्मे नरेंद्र मोदी ने एक सामान्य परिवार में जन्म लिया था। उन्होंने रेलवे स्टेशन पर अपने पिता की चाय बेचने में मदद की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और बाद में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के मंच से उठते हुए वे गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में एक दशक से अधिक सेवा दी। 2014 में उनके ऐतिहासिक जीत के बाद वे राष्ट्रीय नेतृत्व तक पहुंचे।
आज मोदी न केवल एक राजनीतिक व्यक्तित्व हैं, बल्कि भारत की वैश्विक उपस्थिति का प्रतिनिधित्व करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय नेता भी हैं।
भारत के सबसे लंबे समय तक कार्यरत प्रधानमंत्रियों की सूची
प्रधानमंत्री का नाम | कार्यकाल अवधि | कार्यकाल की अवधि (साल/दिन) |
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जवाहरलाल नेहरू | 15 अगस्त 1947 से 27 मई 1964 (दोनों सहित) | 6,130 दिन (लगभग 16 साल 9 महीने) |
नरेंद्र मोदी | 26 मई 2014 से वर्तमान | 4,078 दिन |
इंदिरा गांधी | 24 जनवरी 1966 से 24 मार्च 1977 | 4,077 दिन |
मनमोहन सिंह | 22 मई 2004 से 26 मई 2014 | 10 साल 4 दिन |
अटल बिहारी वाजपेयी | 16 मई 1996 से 1 जून 1996; 19 मार्च 1998 से 12 अक्टूबर 1999; 13 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2004 | तीन कार्यकाल कुल मिलाकर |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह उपलब्धि भारतीय राजनीति में एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखी जा रही है, जिसने उन्हें देश के सबसे प्रभावशाली नेताओं में स्थापित कर दिया है।