राहुल गांधी पहुंचे पुंछ, पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित परिवारों से मिलने शनिवार को

राहुल गांधी पहुंचे पुंछ, पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित परिवारों से मिलने शनिवार को
राहुल गांधी पहुंचे पुंछ, पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित परिवारों से मिलने शनिवार को

नई दिल्ली: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी इस शनिवार जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले का दौरा करेंगे। उनका यह दौरा हाल ही में पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित परिवारों से मुलाकात के लिए हो रहा है। यह जानकारी कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव गुलाम अहमद मीर ने दी।

मीर ने बताया,

“राहुल गांधी पुंछ जाकर उन परिवारों से मिलेंगे जो हाल की पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित हुए हैं। वह पीड़ित परिवारों के साथ एकजुटता प्रकट करना चाहते हैं।”

यह राहुल गांधी का कश्मीर घाटी का दूसरा दौरा होगा, इससे पहले उन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद घाटी का दौरा किया था, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें से अधिकांश पर्यटक थे।

राहुल गांधी का बड़ा बयान

अपने पिछले दौरे में राहुल गांधी ने कहा था कि आतंकवाद का मकसद देश को बांटना है और इसका मुकाबला सिर्फ राष्ट्रीय एकता के ज़रिए ही किया जा सकता है। उन्होंने सभी नागरिकों से आपसी भाईचारा बनाए रखने की अपील की थी।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद बौखलाया पाकिस्तान

गौरतलब है कि 7 मई को भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित नौ आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक्स की गई थीं। इन लक्ष्यों में बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद और मुरिदके में लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय शामिल थे। इसके बाद 8 से 10 मई के बीच पाकिस्तान की ओर से जम्मू क्षेत्र, खासकर पूंछ में गोलाबारी, मिसाइल और ड्रोन हमले किए गए, जिनमें 27 लोगों की मौत और 70 से अधिक लोग घायल हो गए।

कांग्रेस की रणनीति

राहुल गांधी का यह दौरा उन परिवारों के प्रति सहानुभूति प्रकट करने और क्षेत्र में एकता व विश्वास बनाए रखने का प्रयास है। यह कांग्रेस की उस रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है जिसमें पार्टी सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय उपस्थिति दिखाकर केंद्र सरकार की सुरक्षा नीतियों पर सवाल उठा सकती है। राहुल गांधी का पुंछ दौरा न केवल एक संवेदनशील मानवीय पहल है, बल्कि मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य में उनकी सक्रिय भागीदारी को भी दर्शाता है। ऐसे समय में जब देश सीमा पर तनाव झेल रहा है, विपक्ष का जनता के बीच जाकर उनका दुःख साझा करना राजनीतिक और सामाजिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।