बीजिंग में एस. जयशंकर और शी जिनपिंग की मुलाकात, भारत-चीन संबंधों पर हुई चर्चा

बीजिंग में एस. जयशंकर और शी जिनपिंग की मुलाकात, भारत-चीन संबंधों पर हुई चर्चा
बीजिंग में एस. जयशंकर और शी जिनपिंग की मुलाकात, भारत-चीन संबंधों पर हुई चर्चा

नई दिल्ली/बीजिंग: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को बीजिंग में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। यह बैठक शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन के दौरान आयोजित की गई, जिसमें जयशंकर अन्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ शामिल हुए।

शीर्ष नेतृत्व का संदेश पहुंचाया

विदेश मंत्री जयशंकर ने शी जिनपिंग को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुभकामनाएं और अभिवादन भी दिए। उन्होंने बताया कि भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों में हाल के घटनाक्रमों की जानकारी भी शी जिनपिंग को दी गई।

जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,

“आज सुबह बीजिंग में अपने SCO विदेश मंत्री साथियों के साथ राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री @narendramodi की ओर से शुभकामनाएं पहुंचाईं। हमारे द्विपक्षीय संबंधों के हालिया विकास की जानकारी दी और इस दिशा में हमारे शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन के महत्व को रेखांकित किया।”

‘भारत-चीन संबंधों का नया आरंभ बिंदु’

यह मुलाकात उस समय हुई है जब जयशंकर एक दिन पहले ही बीजिंग पहुंचे थे और उन्होंने चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से भी वार्ता की थी।

चीनी सरकारी मीडिया शिन्हुआ के अनुसार, उपराष्ट्रपति हान झेंग ने दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने और संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले साल अक्टूबर में कज़ान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात सफल रही और वह भारत-चीन संबंधों के लिए एक नया प्रारंभ बिंदु बना।

2020 के बाद पहली चीन यात्रा

एस. जयशंकर की यह यात्रा गालवान घाटी संघर्ष (जून 2020) के बाद पहली आधिकारिक यात्रा है। इस संघर्ष के बाद भारत-चीन संबंधों में भारी तनाव आ गया था। लेकिन अब SCO सम्मेलन के माध्यम से दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय बातचीत की संभावनाएं फिर से जाग रही हैं।

एस. जयशंकर और शी जिनपिंग की यह बैठक दोनों देशों के संबंधों में संभावित सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक संकेत मानी जा रही है। जहां भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और तनाव की पृष्ठभूमि रही है, वहीं शीर्ष नेतृत्व की ऐसी मुलाकातें संपर्क और समझ के नए द्वार खोलने का संकेत देती हैं।