नई दिल्ली: कांग्रेस के प्रवासी मामलों के प्रमुख सैम पित्रोदा ने भारत-चीन संबंधों को लेकर दिए अपने बयान से राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत को चीन को शुरू से ही दुश्मन मानने की मानसिकता बदलनी चाहिए।
सैम पित्रोदा ने क्या कहा?
सैम पित्रोदा ने IANS से बातचीत में कहा,
“मुझे चीन से खतरे की बात समझ नहीं आती। इस मुद्दे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, क्योंकि अमेरिका हमेशा एक दुश्मन तय करने की प्रवृत्ति रखता है। मेरा मानना है कि अब सभी देशों को सहयोग की ओर बढ़ना चाहिए, न कि टकराव की ओर।”
उन्होंने आगे कहा,
“हमारा रुख शुरू से ही टकराव वाला रहा है और यह रवैया दुश्मनी को जन्म देता है। हमें यह मानसिकता बदलने की जरूरत है और चीन को पहले दिन से ही दुश्मन मानना बंद करना चाहिए। यह न सिर्फ चीन के लिए, बल्कि सभी के लिए अनुचित है।”
BJP का पलटवार – “कांग्रेस का चीन प्रेम उजागर”
पित्रोदा के बयान के बाद भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
भाजपा प्रवक्ता तुहिन सिन्हा ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा,
“जिन्होंने 40,000 वर्ग किमी भारतीय भूमि चीन को सौंप दी, वे अब भी ड्रैगन से खतरा नहीं देखते!”
भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कांग्रेस पर चीन के साथ मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा,
“कांग्रेस पार्टी, राहुल गांधी और जॉर्ज सोरोस चीन के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं। 2008 में कांग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच हुए गुप्त समझौते को कांग्रेस ने अब तक सार्वजनिक नहीं किया है।”
भंडारी ने डोकलाम विवाद का जिक्र करते हुए कहा,
“डोकलाम के समय राहुल गांधी गुपचुप तरीके से चीन के राजदूत से मिले थे… सैम पित्रोदा का बयान साफ करता है कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के मन में चीन के प्रति नरम रुख है।”
भारत-चीन संबंधों पर लगातार चर्चा जारी
सैम पित्रोदा के बयान ऐसे समय पर आए हैं जब भारत-चीन संबंधों को लेकर तनाव जारी है।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने भी भारत-चीन सीमा विवाद पर चिंता जताई थी। ट्रंप ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,
“भारत की सीमा पर झड़पें हो रही हैं और वे काफी गंभीर हैं। यदि मैं मदद कर सकता हूं, तो मुझे खुशी होगी, क्योंकि इसे रोका जाना चाहिए।”
क्या कांग्रेस को पड़ेगा नुकसान?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सैम पित्रोदा के इस बयान से कांग्रेस को सियासी नुकसान हो सकता है। भाजपा इसे राष्ट्रवाद बनाम चीन-समर्थन का मुद्दा बनाकर लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पर हमले तेज कर सकती है। अब देखना होगा कि राहुल गांधी या कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है।