
नई दिल्ली: पूर्व जम्मू-कश्मीर राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को 79 वर्ष की उम्र में नई दिल्ली स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया। वे बीते कई महीनों से बीमार चल रहे थे और 11 मई से अस्पताल में भर्ती थे। उन्होंने दोपहर 1:12 बजे अंतिम सांस ली। उनकी मृत्यु की जानकारी उनके आधिकारिक X (पूर्व ट्विटर) अकाउंट के माध्यम से दी गई।
लंबे समय से चल रहे थे बीमार
अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, मलिक को पैर में संक्रमण, मूत्र मार्ग संक्रमण, फेफड़े और किडनी की गंभीर समस्याएं थीं, जिनका इलाज किया जा रहा था।
अनुच्छेद 370 हटाने के दौरान थे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल
सत्यपाल मलिक ने अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के अंतिम पूर्ण राज्यपाल के रूप में कार्य किया। उनके कार्यकाल के दौरान ही 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को हटाया गया, जिससे जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त हो गया। आज यानी 5 अगस्त 2025 को उस ऐतिहासिक निर्णय की छठी वर्षगांठ भी है।
अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख – में विभाजित किया गया।
एक लंबा और विविधतापूर्ण राजनीतिक जीवन
सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर लगभग छह दशकों तक फैला रहा, जिसमें उन्होंने कई पार्टियों और पदों पर कार्य किया।
- उनका राजनीतिक जीवन 1965-66 में शुरू हुआ, जब वे डॉ. राम मनोहर लोहिया की समाजवादी विचारधारा से प्रेरित होकर राजनीति में आए।
- 1968-69 में वे मेरठ विश्वविद्यालय (अब चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी) के छात्र संघ अध्यक्ष बने।
- 1974 में भारतीय क्रांति दल के टिकट पर पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा पहुंचे।
- 1980 में लोक दल से राज्यसभा पहुंचे और बाद में 1984 में कांग्रेस में शामिल हुए।
- 1987 में बोफोर्स घोटाले के खिलाफ विरोध में कांग्रेस और राज्यसभा दोनों से इस्तीफा देकर जन मोर्चा बनाया, जो बाद में जनता दल में विलीन हो गया।
- 1989 में अलीगढ़ से लोकसभा सांसद चुने गए और पर्यटन व संसदीय कार्य राज्यमंत्री बने।
बीजेपी में नई भूमिका
- 2004 में भाजपा से जुड़े और 2005-06 में उत्तर प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष बने।
- 2009 में किसान मोर्चा, फिर 2012 और 2014 में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने।
- 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा का कृषि एजेंडा तैयार करने में उनकी भूमिका अहम रही।
राज्यपाल के रूप में सक्रिय भूमिका
- 2017 में बिहार, फिर 2018 में जम्मू-कश्मीर, 2019 में गोवा और 2020 से 2022 तक मेघालय के राज्यपाल रहे।
- उन्होंने ओडिशा के कार्यवाहक राज्यपाल के रूप में भी संक्षिप्त कार्यभार संभाला।
- पुलवामा हमले और अनुच्छेद 370 हटाने जैसे अहम घटनाक्रमों के दौरान राज्यपाल के रूप में उन्होंने फैसले लिए।
बेबाक बयानों के लिए पहचाने जाते थे
मलिक सरकार की नीतियों पर खुलेआम आलोचना करने के लिए जाने जाते थे। किसानों के आंदोलन, पुलवामा हमले की जांच, और अनुच्छेद 370 जैसे विषयों पर उन्होंने कई बार सरकारी लाइन से हटकर बयान दिए, जिससे वे लगातार चर्चा में बने रहे।
अंतिम संस्कार की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, सत्यपाल मलिक के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए उनके बागपत (उत्तर प्रदेश) स्थित पैतृक गांव ले जाया जा सकता है। अंतिम संस्कार की आधिकारिक जानकारी जल्द दी जाएगी।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
ॐ शांति।