Sawan 2025: 11 जुलाई से शुरू होगा सावन, जानें कब रखा जाएगा सावन का पहला सोमवार व्रत

Sawan 2025: 11 जुलाई से शुरू होगा सावन, जानें कब रखा जाएगा सावन का पहला सोमवार व्रत
Sawan 2025: 11 जुलाई से शुरू होगा सावन, जानें कब रखा जाएगा सावन का पहला सोमवार व्रत

नई दिल्ली: श्रावण मास, जिसे आमतौर पर सावन के नाम से जाना जाता है, हिन्दू पंचांग का सबसे पवित्र महीना माना जाता है, विशेष रूप से भगवान शिव के भक्तों के लिए। यह मास श्रद्धा, उपवास, पूजन और भक्ति भाव से परिपूर्ण होता है, जो जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति लाने वाला होता है।

कब से शुरू हो रहा है श्रावण मास 2025?

वेदिक पंचांग के अनुसार, श्रावण मास की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से होगी। आषाढ़ पूर्णिमा 10 जुलाई को दोपहर 1:36 बजे से 11 जुलाई दोपहर 2:06 बजे तक रहेगी। इसके बाद श्रावण मास की प्रतिपदा तिथि 11 जुलाई रात 11:07 बजे शुरू होकर 12 जुलाई दोपहर 2:08 बजे तक चलेगी। यही समय सावन माह के शुभारंभ का संकेत देता है।

श्रावण पूजा विधि

श्रावण मास का संपूर्ण माह भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना को समर्पित होता है। इस दौरान विशेषकर श्रावण के सोमवार को उपवास रखकर शिवलिंग पर जल, दूध, बिल्वपत्र, धतूरा, सफेद पुष्प आदि अर्पित किए जाते हैं।

पूजा की विधि इस प्रकार है:

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • घर और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • शिवलिंग पर गंगाजल, दूध और फिर शुद्ध जल से अभिषेक करें।
  • बिल्वपत्र, धतूरा, सफेद पुष्प, भस्म, मिठाई और गाय का दूध अर्पित करें।
  • ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें या शिव के 108 नामों का पाठ करें।
  • शिव चालीसा का पाठ करें और शिव आरती से पूजा पूर्ण करें।
  • अंत में भगवान शिव से सुख-शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें।

श्रावण मास में सोमवार व्रत की तिथियां (2025):

  1. 14 जुलाई – पहला सोमवार
  2. 21 जुलाई – दूसरा सोमवार
  3. 28 जुलाई – तीसरा सोमवार
  4. 4 अगस्त – चौथा और अंतिम सोमवार

इन व्रतों को श्रद्धा से रखने पर भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

श्रावण मास का धार्मिक महत्व

श्रावण मास चातुर्मास के अंतर्गत आता है, जब भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में लीन रहते हैं और सृष्टि की बागडोर भगवान शिव संभालते हैं। यह मास तप, साधना और संयम का प्रतीक माना जाता है।

श्रावण में भगवान शिव का जलाभिषेक और व्रत रखने से जीवन की परेशानियां दूर होती हैं, पाप नष्ट होते हैं और मन को शांति मिलती है। यह समय आत्मिक शुद्धि, ध्यान, सेवा और दान का होता है।

विशेष संयोग: शिवावास योग

श्रावण मास के पहले दिन एक विशेष योग ‘शिवावास योग’ बन रहा है। ऐसा माना जाता है कि इस योग में भगवान शिव माता पार्वती संग कैलाश पर्वत पर विराजमान रहते हैं। इस योग में की गई पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है।

श्रावण मास 2025 भक्तों के लिए एक पावन अवसर है, जब वे भगवान शिव की उपासना के माध्यम से आध्यात्मिक और मानसिक उन्नति प्राप्त कर सकते हैं। सही पूजन विधि, उपवास तिथियों और नियमों का पालन करने से यह महीना जीवन में शुभता और सौभाग्य लेकर आता है। इस सावन, भगवान शिव की कृपा से आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास हो।