दिल्ली के शांत समझे जाने वाले लाजपत नगर इलाके में सोमवार रात जो कुछ हुआ, उसने शहर को दहला कर रख दिया। एक महिला और उसका नाबालिग बेटा अपने ही घर में बेरहमी से मार दिए गए। ये हत्याएं किसी बाहरी लुटेरे ने नहीं की, बल्कि परिवार से परिचित एक युवक ने की, जिसे कभी उन्होंने काम पर रखा था।
हत्या का क्रूर सच
42 वर्षीय महिला रुचिका स्वैनी अपने बेटे, 14 वर्षीय बेटे के साथ फ्लैट में थीं। रात करीब 7:30 बजे उनका पूर्व कर्मचारी मुकश पासवान घर पहुंचा, और घरेलू विवाद के चलते उसने रुचिका पर चाकू से वार कर दिया। पुलिस के अनुसार, जब बेटा विवान चिल्लाकर अंदर आया और मां को बचाने की कोशिश की, तो आरोपी ने उसकी भी गला रेतकर हत्या कर दी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रुचिका के परिवार वालों ने उन्हें कई बार फोन किया, लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला। जब उनका पति और बेटी मौके पर पहुंचे, तो दरवाजा अंदर से बंद था और बाहर खून के निशान दिख रहे थे। पुलिस ने मौके पर आकर दरवाजा तोड़ा और घर के अंदर दिल दहला देने वाला दृश्य देखा, रिचिका का शव बेडरूम में और विवान का शव बाथरूम के अंदर मिला।
आरोपी की मानसिकता और अपराध की पृष्ठभूमि
मुकश पासवान, जो पहले इस परिवार के साथ ड्राइवर के रूप में काम कर चुका था, कई बार लापरवाही के कारण डांटा जा चुका था। हाल ही में उसे नौकरी से निकाल दिया गया था और बकाया पैसे को लेकर कहासुनी भी हुई थी। पुलिस जांच में सामने आया है कि वह काफी समय से रुचिका से नाराज़ था और इसी गुस्से में उसने साजिश रचकर उनकी हत्या कर दी।
CCTV फुटेज से पता चला कि आरोपी शाम 7:30 बजे घर पहुंचा और 17 मिनट बाद निकल गया। उसके हाथ में एक बैग था जिसमें संभवतः चाकू छुपा हुआ था। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि आरोपी ने हत्या से पहले कैमरे की वायर काटी या नहीं।
जांच की स्थिति और सुरक्षा पर सवाल
पुलिस ने मुकश को अगले ही दिन उत्तर प्रदेश के मुगलसराय स्टेशन से पकड़ लिया, जहां वह ट्रेन से भागने की कोशिश कर रहा था। गिरफ्तारी के बाद उसने अपना जुर्म कबूल किया और बताया कि वह रुचिका से बदला लेना चाहता था।
यह घटना एक बार फिर सवाल खड़ा करती है कि कैसे घरेलू सहायकों की पृष्ठभूमि की जांच कई परिवारों द्वारा हल्के में ली जाती है। साथ ही, सुरक्षा के लिए CCTV कैमरे और अन्य निगरानी प्रणाली होने के बावजूद अगर ऐसे अपराध हो सकते हैं, तो यह व्यवस्थाओं की कमजोरी दर्शाता है। यह मामला केवल हत्या नहीं है, यह एक टूटते हुए सामाजिक रिश्ते का प्रतीक है, जहां काम पर रखा गया व्यक्ति उस विश्वास को चकनाचूर करता है जो उसे एक परिवार ने दिया था। यह एक चेतावनी है उन सभी के लिए जो घरेलू सहायकों को बिना उचित सत्यापन के नौकरी पर रख लेते हैं।