संसद में सनसनीखेज खुलासा, प्रदूषण के लिए 858 करोड़ रुपये में से 1% से भी कम खर्च हुआ

संसद में सनसनीखेज खुलासा, प्रदूषण के लिए 858 करोड़ रुपये में से 1% से भी कम खर्च हुआ
संसद में सनसनीखेज खुलासा, प्रदूषण के लिए 858 करोड़ रुपये में से 1% से भी कम खर्च हुआ

नई दिल्ली: संसद में 25 मार्च को पेश की गई एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट ने ‘प्रदूषण नियंत्रण’ योजना के लिए आवंटित 858 करोड़ रुपये के बजट के गंभीर रूप से अपर्याप्त उपयोग का खुलासा किया है। जनवरी 21 तक केवल 7.22 करोड़ रुपये का ही खर्च हुआ था, जो कुल बजट का 1% से भी कम है। इस खतरनाक स्थिति को लेकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन से संबंधित विभागीय स्थायी समिति ने गहरी चिंता जताई है।

मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि योजना की स्वीकृति और निरंतरता को लेकर अनिश्चितताओं के कारण ये फंड्स खर्च नहीं हो पाए। यह स्पष्टिकरण उस समय आया जब पिछले दो वित्तीय वर्षों में इस योजना का पूरा बजट पूरी तरह से खर्च किया गया था। समिति ने इस भारी अव्यवहारिकता पर आश्चर्य जताते हुए मंत्रालय से आग्रह किया कि वह प्रदूषण की बढ़ती समस्या को देखते हुए इस मामले की गंभीरता से जांच करें।

भारत में प्रदूषण की बढ़ती समस्या

भारत में पर्यावरणीय प्रदूषण का मुद्दा गंभीर रूप से बढ़ चुका है, जिसका सीधा असर न केवल मानव स्वास्थ्य पर पड़ा है, बल्कि पारिस्थितिकी पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। इस स्थिति की गंभीरता को 2024 के ‘वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट’ ने और अधिक स्पष्ट किया है, जिसमें भारत को दुनिया का पांचवां सबसे प्रदूषित देश करार दिया गया है। दिल्ली को दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी शहर के रूप में चिन्हित किया गया है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह

पूर्व WHO प्रमुख वैज्ञानिक और स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाहकार, सौम्या स्वामीनाथन ने प्रदूषण से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने उपलब्ध वायु गुणवत्ता डेटा के आधार पर ठोस कदम उठाने का सुझाव दिया। स्वामीनाथन ने LPG के इस्तेमाल को बढ़ाने की सलाह दी, जिससे जैविक ईंधन के स्थान पर यह अधिक प्रभावी हो सके। इसके लिए उन्होंने गरीब परिवारों को अधिक सब्सिडी देने की आवश्यकता पर भी बल दिया, ताकि यह सस्ता और सुलभ हो सके।

स्वामीनाथन ने सार्वजनिक परिवहन के विस्तार, उच्च-उत्सर्जन वाहनों पर जुर्माना लगाने और उत्सर्जन कानूनों को सख्ती से लागू करने का भी समर्थन किया। उनका मानना ​​है कि ये कदम उद्योगों और निर्माण स्थलों को पर्यावरण मानकों का पालन करने और उत्सर्जन कम करने के उपायों को अपनाने के लिए मजबूर करेंगे। वर्तमान में भारत को प्रदूषण से निपटने के लिए गंभीर उपायों की आवश्यकता है, ताकि यह संकट और भी विकराल न हो जाए। रिपोर्ट में सरकार से यह अपील की गई है कि प्रदूषण नियंत्रण योजना के तहत दिए गए बजट का पूर्ण और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया जाए और देश में प्रदूषण की समस्या को कम करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।