सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम-वीवीपीएटी के 100% सत्यापन पर चुनाव आयोग से मांगा जवाब, कहा ईसी के जवाबों में है कन्फ्यूजन
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) में दर्ज वोटों का वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों से पूरी तरह वेरीफाई (सत्यापन) की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. शीर्ष आदलत ने कहा ईवीएम पर अक्सर पूछे गए सवालों में दिए गए उसके जवाब में कुछ कन्फ्यूजन है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, “उसे कुछ पहलुओं पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है क्योंकि ईवीएम पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों में चुनाव आयोग द्वारा दिए गए उत्तरों में कुछ कन्फ्यूजन है.”
विभिन्न राजनीतिक दलों और नागरिक समाज समूहों ने चुनाव परिणामों की अखंडता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए वीवीपैट पर्चियों के 100% सत्यापन के सवालों का जवाब मांगा है। उनका तर्क है कि इस तरह के उपाय से चुनावी प्रक्रिया में जनता का विश्वास बढ़ेगा और संभावित छेड़छाड़ या दुर्भावना पर चिंताएं कम होंगी।
चुनाव आयोग के जवाबों में 100% सत्यापन के संबंध में प्रश्नों पर चुनाव आयोग के जवाब भ्रम और संदेह के साथ मिले हैं। चुनाव आयोग के रुख में स्पष्टता की कमी ने अटकलों को बढ़ावा दिया है और इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने एक निश्चित स्पष्टीकरण की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा कार्रवाई:
100% सत्यापन की मांग को संबोधित करने में स्पष्टता और सुसंगतता की आवश्यकता को पहचानते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को हितधारकों द्वारा उठाए गए प्रासंगिक सवालों के स्पष्ट जवाब देने का निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने चुनाव की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देशों की आवश्यकता पर बल देते हुए चुनावी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व को रेखांकित किया है।
जैसे-जैसे ईवीएम-वीवीपीएटी पर्चियों के 100% सत्यापन पर बहस तेज होती जा रही है, सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप चुनाव सुधार की चल रही खोज में एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में कार्य करता जा रहा है। चुनावी प्रक्रिया में जनता का भरोसा अधर में लटके होने के कारण स्पष्ट उत्तर देने और लोकतंत्र के सिद्धांतों को कायम रखने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग पर है।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगी थी मशीन की विस्तार से जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल को हुई सुनवाई में चुनाव आयोग से निष्पक्ष और साफ-सुथरे चुनाव के लिए विस्तार से जानकारी मांगी थी. जस्टिस खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने चुनाव की पवित्रता बनाए रखने को कहा था. इस दौरान सुनवाई में पीठ ने कहा था कि, “यह एक चुनावी प्रक्रिया है. इसमें पवित्रता होनी चाहिए. किसी को भी शक न हो कि वो जो उम्मीद कर रहे हैं, वह नहीं हो रहा है.” जज ने चुनाव आयोग से पूछा था कि आपके पास कितने वीवीपीएटी हैं? इस पर आयोग के अधिकारी ने 17 लाख वीवीपैट होने की बात कही थी, जिस पर जज ने सवाल किया कि आपके पास ईवीएम और वीवीपैट की संख्या अलग क्यों है? इस पर अधिकारी ने समझाने की कोशिश की लेकिन जज को लगा कि यह मुद्दे से भटकने वाली बात है, लिहाजा अधिकारी को जवाब देने से रोक दिया गया. कोर्ट ने और गहराई में जाते हुए सवाल किया कि उसके आंकड़ों को लेकर इन्हें हैंडल करने वाले लोगों के पास क्या जानकारी होती है. इस पर अधिकारी ने कहा कि इन आंकड़ों को जान पाना या उसमें रिगिंग कर पाना किसी भी तरह संभव नहीं है. मॉक पोल में प्रत्याशी अपनी पसंद के मुताबिक किसी भी मशीन की जांच कर सकता है.