TMC में घमासान: Mahua Moitra और Kalyan Banerjee के बीच बढ़ा झगड़ा, ममता ने दी सख्त चेतावनी

TMC में घमासान: Mahua Moitra और Kalyan Banerjee के बीच बढ़ा झगड़ा, ममता ने दी सख्त चेतावनी
TMC में घमासान: Mahua Moitra और Kalyan Banerjee के बीच बढ़ा झगड़ा, ममता ने दी सख्त चेतावनी

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में आंतरिक घमासान सामने आया है, जब पार्टी की प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पार्टी सांसद महुआ मोइत्रा को गंभीर चेतावनी दी। यह विवाद महुआ मोइत्रा और टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी के बीच एक तीखी बहस के बाद शुरू हुआ, जिसके बाद ममता ने महुआ को पार्टी से निलंबन की धमकी दी है, अगर उनका व्यवहार सही नहीं हुआ तो।

सूत्रों के अनुसार, महुआ मोइत्रा और कल्याण बनर्जी के बीच यह विवाद पिछले कुछ दिनों से बढ़ रहा था। महुआ मोइत्रा ने आरोप लगाया था कि कल्याण बनर्जी ने लोकसभा में उनके बोलने का समय कम दिया, जिससे वह बेहद निराश हुईं। इसके अलावा, कल्याण बनर्जी का बढ़ता हुआ प्रभाव भी महुआ के लिए चिंता का कारण बन रहा था, जिससे उनकी नाराजगी और बढ़ी।

अभी हाल ही में, महुआ ने कल्याण को ‘छोटो लोक’ (बंगाली में एक अपमानजनक शब्द) कहकर गुस्से में अपशब्द कहे, जिसने रिश्ते को और बिगाड़ दिया। इसके बाद, टीएमसी के वरिष्ठ सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने ममता बनर्जी को पूरी घटना से अवगत कराया, और ममता ने महुआ को एक महिला राज्यसभा सांसद के माध्यम से सख्त संदेश भेजा। संदेश में कहा गया कि यदि महुआ ने अपना व्यवहार ठीक नहीं किया तो उन्हें पार्टी से निलंबित किया जा सकता है।

इसके बाद भाजपा ने इस विवाद को सोशल मीडिया पर उजागर किया और वीडियो और स्क्रीनशॉट्स के जरिए विवाद का खुलासा किया। भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीया ने कल्याण बनर्जी और महुआ मोइत्रा के बीच एक वर्डल स्पैट का वीडियो और व्हाट्सएप चैट शेयर की, जिसमें दोनों के बीच तीखी बहस होती दिखी।

महुआ और कल्याण के बीच यह विवाद उस समय बढ़ा जब दोनों 4 अप्रैल को चुनाव आयोग के कार्यालय में एक ज्ञापन सौंपने गए थे। सूत्रों के मुताबिक, महुआ ने कल्याण से पूछा कि उनके हस्ताक्षर क्यों नहीं जुटाए गए, जबकि यह जिम्मेदारी उन्हें दी गई थी।

महुआ और कल्याण के बीच यह विवाद अब टीएमसी के अंदर एक बड़े मुद्दे के रूप में सामने आ गया है और पार्टी की आंतरिक राजनीति को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। अब देखना यह है कि ममता बनर्जी पार्टी की एकजुटता बनाए रखने के लिए इस मुद्दे को कैसे सुलझाती हैं।