नई दिल्ली: अमेरिका के मिशिगन राज्य की पब्लिक यूनिवर्सिटीज़ में पढ़ रहे चार अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने अपने संभावित डिपोर्टेशन के खिलाफ अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) और इमिग्रेशन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। याचिकाकर्ताओं में एक भारतीय छात्र चिन्मय देओरे भी शामिल हैं, जो Wayne State University में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रहे हैं।
अन्य छात्रों में चीन के शियांगयुन बू और चिउयी यांग तथा नेपाल के योगेश जोशी शामिल हैं। इन छात्रों का आरोप है कि अमेरिका के स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विज़िटर इंफॉर्मेशन सिस्टम (SEVIS) में उनकी स्टूडेंट इमिग्रेशन स्टेटस को अवैध रूप से और बिना उचित सूचना या स्पष्टीकरण के समाप्त कर दिया गया।
कौन हैं चिन्मय देओरे?
चिन्मय देओरे मूल रूप से भारत से हैं। वे पहली बार 2004 में अपने परिवार के साथ अमेरिका H-4 डिपेंडेंट वीज़ा पर गए थे। 2008 में भारत लौटने के बाद, वे 2014 में फिर अमेरिका पहुंचे। मिशिगन में हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अगस्त 2021 में Wayne State University में कंप्यूटर साइंस में दाखिला लिया।
2022 में, H-4 वीज़ा की समय सीमा समाप्त होने से पहले उन्होंने वैध रूप से F-1 स्टूडेंट वीज़ा के लिए आवेदन किया और उसे प्राप्त भी किया। वर्तमान में वे मिशिगन के कैंटन शहर में अपने परिवार के साथ रहते हैं और मई 2025 तक अपनी पढ़ाई पूरी करने की योजना है।
छात्रों की मांग
इन छात्रों ने अदालत से अपील की है कि उनके वीज़ा स्टेटस को बहाल किया जाए और उन्हें बिना किसी डर के अपनी पढ़ाई पूरी करने की अनुमति दी जाए। यह मामला अमेरिका में पढ़ने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है, जो पहले ही कई तरह की वीज़ा और इमिग्रेशन प्रक्रियाओं से गुजरते हैं।
यह याचिका अमेरिका में पढ़ रहे हज़ारों भारतीय और अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी मामला बन सकती है, जिससे आगे की नीतियों पर भी असर पड़ सकता है।