नवरात्रि में क्यों नहीं खाए जाते प्याज और लहसुन, जानिए आयुर्वेद और आध्यात्मिक कारण

नवरात्रि में क्यों नहीं खाए जाते प्याज और लहसुन, जानिए आयुर्वेद और आध्यात्मिक कारण
नवरात्रि में क्यों नहीं खाए जाते प्याज और लहसुन, जानिए आयुर्वेद और आध्यात्मिक कारण

नई दिल्ली: नवरात्रि केवल पूजा और उत्सव का समय नहीं है, बल्कि यह आत्मअनुशासन और आहार संतुलन का भी प्रतीक है। भारत में लाखों श्रद्धालु इस दौरान उपवास रखते हैं और सात्विक आहार का पालन करते हैं, जिससे शरीर की शुद्धि और मन की शांति का अनुभव होता है। इसी सात्विक आहार प्रणाली के अंतर्गत प्याज और लहसुन को खाने से परहेज किया जाता है।

प्याज और लहसुन से परहेज का कारण

नवरात्रि के दौरान प्याज और लहसुन को आहार से दूर रखने का कारण केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक और स्वास्थ्य संबंधी भी है। आयुर्वेद के अनुसार, भोजन को तीन श्रेणियों में बांटा गया है: सात्विक, राजसिक और तामसिक। सात्विक आहार शुद्ध, संतुलित और मन को स्थिर करने वाला होता है। प्याज और लहसुन को राजसिक और तामसिक माना गया है, जो व्यक्ति में क्रोध, उत्तेजना और जड़ता बढ़ाते हैं।

ऊर्जा और मानसिक स्थिति पर प्रभाव

ऐसा माना जाता है कि प्याज और लहसुन शरीर में आंतरिक गर्मी उत्पन्न करते हैं और मन की शांति में बाधा डालते हैं। नवरात्रि आत्मनियंत्रण, ध्यान और साधना का समय होता है, ऐसे में ऐसे खाद्य पदार्थ जो चंचलता या बेचैनी बढ़ा सकते हैं, उनसे दूरी बनाई जाती है। इसके विपरीत, फल, दूध, मेवे और हल्के अनाज जैसे सात्विक भोजन एकाग्रता बढ़ाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देते हैं।

आयुर्वेदिक और स्वास्थ्य दृष्टिकोण से

स्वास्थ्य की दृष्टि से, प्याज और लहसुन औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं, लेकिन अधिक मात्रा में सेवन करने पर ये पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं। उपवास के दौरान जब व्यक्ति हल्के और सीमित आहार पर होता है, तो इनका त्याग करना पाचन को संतुलित बनाए रखने में सहायक होता है। इससे पेट की तकलीफें जैसे गैस, सूजन आदि से बचा जा सकता है।

आध्यात्मिक परंपरा और शुद्धता का प्रतीक

नवरात्रि में प्याज और लहसुन का सेवन न करने की परंपरा सिर्फ आहार की बात नहीं है, यह आत्मशुद्धि, संयम और भक्ति भाव से भी जुड़ी हुई है। सात्विक भोजन से शरीर हल्का, मन शांत और आत्मा एकाग्र होती है, जिससे श्रद्धालु नौ दिनों तक पूरी श्रद्धा और पवित्रता के साथ साधना कर सकें।

नवरात्रि के इन नौ पावन दिनों में सात्विक जीवनशैली को अपनाकर श्रद्धालु न केवल आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव करते हैं, बल्कि शारीरिक और मानसिक रूप से भी स्वयं को स्वस्थ बनाए रखने का प्रयास करते हैं।

Pushpesh Rai
एक विचारशील लेखक, जो समाज की नब्ज को समझता है और उसी के आधार पर शब्दों को पंख देता है। लिखता है वो, केवल किताबों तक ही नहीं, बल्कि इंसानों की कहानियों, उनकी संघर्षों और उनकी उम्मीदों को भी। पढ़ना उसका जुनून है, क्योंकि उसे सिर्फ शब्दों का संसार ही नहीं, बल्कि लोगों की ज़िंदगियों का हर पहलू भी समझने की इच्छा है।