नई दिल्ली: मुंबई में गौरी खान के रेस्टोरेंट ‘टोरी’ में परोसे गए पनीर को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। एक यूट्यूबर द्वारा किए गए आयोडीन टिंचर टेस्ट में टोरी का पनीर काला पड़ गया, जिससे सोशल मीडिया पर यह चर्चा शुरू हो गई कि रेस्टोरेंट में नकली या मिलावटी पनीर परोसा जा रहा है।
यूट्यूबर सार्थक सचदेवा ने हाल ही में विराट कोहली के ‘One8 Commune’, शिल्पा शेट्टी के ‘Bastian’ और बॉबी देओल के ‘Someplace Else’ जैसे सेलेब्रिटी रेस्टोरेंट्स पर पनीर की गुणवत्ता जांचने के लिए आयोडीन टेस्ट किया। बाकी सभी रेस्टोरेंट्स के पनीर ने टेस्ट पास कर लिया, लेकिन ‘टोरी’ के पनीर का रंग काला हो गया। वीडियो में सचदेवा ने कहा, “शाहरुख खान के रेस्टोरेंट में पनीर नकली था।”
रेस्टोरेंट ने दी सफाई
विवाद के बढ़ने पर टोरी रेस्टोरेंट ने सोशल मीडिया पर सफाई दी कि पनीर में कोई मिलावट नहीं है और टेस्ट में जो बदलाव दिखा, वह डिश में मौजूद सोया-आधारित सामग्री की वजह से हुआ। उन्होंने कहा, “आयोडीन टेस्ट स्टार्च की उपस्थिति दर्शाता है, पनीर की असलियत नहीं। हमारे पनीर की शुद्धता और सामग्री की गुणवत्ता पर हमें पूरा विश्वास है।” रेस्टोरेंट ने आगे कहा, “हम इस तरह की खबरों से बेहद हैरान हैं। हमारे रेस्टोरेंट में हर स्तर पर गुणवत्ता की जांच होती है और ग्राहकों को शुद्ध भोजन ही परोसा जाता है।”
फास्ट फूड चेन भी आई विवादों में
इससे पहले भी सोशल मीडिया पर यह दावा किया गया था कि KFC, McDonald’s और Burger King जैसे बड़े ब्रांड नकली पनीर का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, मैकडोनाल्ड्स इंडिया ने सफाई देते हुए कहा कि उनका पनीर पूरी तरह दूध से बना हुआ है और उच्च गुणवत्ता मानकों पर आधारित है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
खाद्य विशेषज्ञों के अनुसार नकली पनीर आमतौर पर स्टार्च, वनस्पति फैट और सिंथेटिक मिल्क सॉलिड से तैयार किया जाता है जो असली पनीर जैसा दिखता तो है, लेकिन पोषण नहीं देता और स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है। आयोडीन टिंचर टेस्ट में अगर पनीर का रंग नीला या काला पड़ता है, तो यह स्टार्च की उपस्थिति का संकेत हो सकता है।
हालांकि, यथार्थ हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा की न्यूट्रिशन एक्सपर्ट डॉ. किरण सोनी का मानना है कि सिर्फ आयोडीन टेस्ट से पनीर की असलियत तय नहीं हो सकती। उन्होंने कहा “अगर पनीर को तलने से पहले बैटर में डुबोया गया हो या व्यावसायिक पनीर में टेक्सचर सुधारने के लिए स्टार्च मिलाया गया हो, तो टेस्ट का नतीजा प्रभावित हो सकता है।” इस विवाद ने एक बार फिर उपभोक्ताओं को खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता पर सतर्क रहने का संदेश दिया है।