नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तुत उस व्यापक शांति योजना का स्वागत किया, जिसका उद्देश्य इज़राइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष को समाप्त करना है। पीएम मोदी ने आशा जताई कि इस पहल के पीछे सभी पक्ष एकजुट होंगे और क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए इस प्रयास का समर्थन करेंगे।
यह प्रतिक्रिया व्हाइट हाउस द्वारा सोमवार को ट्रंप की 20-बिंदुओं वाली योजना जारी करने के कुछ घंटों बाद आई, जिसमें गाज़ा में युद्धविराम और अस्थायी प्रशासन की स्थापना की बात कही गई है। हालांकि अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि इज़राइल और हमास में से किसी ने इस प्रस्ताव को औपचारिक रूप से स्वीकार किया है या नहीं।
गाज़ा के लिए अस्थायी शासन और युद्धविराम का प्रस्ताव
राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा जारी इस योजना में कहा गया है कि गाज़ा में किसी भी नागरिक को स्थानांतरित नहीं किया जाएगा और यदि दोनों पक्ष प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं, तो युद्ध तुरंत रोका जा सकता है। इसके अलावा, हमास को सभी बचे हुए बंधकों को 72 घंटे के भीतर रिहा करने की शर्त दी गई है।
इस प्रस्ताव के अनुसार, गाज़ा में एक अस्थायी गवर्निंग बोर्ड की स्थापना की जाएगी, जिसका नेतृत्व स्वयं ट्रंप करेंगे और इसमें पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर सहित अन्य वैश्विक नेता शामिल होंगे।
हमास के विरोध पर इज़राइल को अमेरिका का पूरा समर्थन
ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि हमास इस योजना को नकारता है, तो अमेरिका इज़राइल को हमास को पराजित करने के लिए “पूर्ण समर्थन” देगा। ट्रंप ने नेतन्याहू के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हम बहुत करीब हैं, लेकिन अभी हमें हमास को मनाना है।”
प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने भी इस योजना का समर्थन करते हुए कहा, “यदि हमास इस प्रस्ताव को खारिज करता है या दिखावटी तौर पर स्वीकार कर उल्लंघन करता है, तो इज़राइल अपने दम पर इसे पूरा करेगा चाहे आसान रास्ता हो या कठिन।”
फिलिस्तीनियों से ट्रंप की अपील
अमेरिकी राष्ट्रपति ने फिलिस्तीनी जनता से अपील की कि वे “अपनी नियति की ज़िम्मेदारी लें” और इस शांति प्रस्ताव को अपनाएं ताकि क्षेत्र में स्थायी समाधान की ओर बढ़ा जा सके।
नेतन्याहू ने क़तर से मांगी माफ़ी
इस घटनाक्रम के बीच, इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने क़तर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी से औपचारिक रूप से माफ़ी मांगी। यह माफ़ी एक हालिया इज़रायली सैन्य हमले को लेकर दी गई, जिसमें गल्फ क्षेत्र में मौजूद हमास अधिकारियों को निशाना बनाया गया था। इस हमले को लेकर अरब देशों में रोष था और अमेरिका ने भी इस पर असामान्य रूप से इज़रायल की आलोचना की थी।
नेतन्याहू ने ट्रंप से मुलाकात के दौरान यह माफ़ी क़तर के प्रधानमंत्री को फोन कर दी। अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि हमास इस प्रस्ताव का क्या जवाब देता है और क्या यह योजना लंबे समय से चल रहे इस संघर्ष को वास्तव में विराम दे सकेगी।













