पंचमुखी डोली के साथ ओंकारेश्वर मंदिर से केदारनाथ पहुंचेंगे बाबा केदार, क्या है पंचमुखी डोली महत्व

पंचमुखी डोली के साथ ओंकारेश्वर मंदिर से केदारनाथ पहुंचेंगे बाबा केदार, क्या है पंचमुखी डोली महत्व
पंचमुखी डोली के साथ ओंकारेश्वर मंदिर से केदारनाथ पहुंचेंगे बाबा केदार, क्या है पंचमुखी डोली महत्व

भगवान शिव के भक्तों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। इस साल केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई 2025 को भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे। हर साल लाखों श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन के लिए केदारनाथ पहुंचते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बाबा केदार के दर्शन मात्र से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उन पर भगवान शिव की विशेष कृपा बरसती है।

केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने से पहले एक विशेष परंपरा निभाई जाती है जिसे ‘देव डोली’ परंपरा कहा जाता है। कपाट खुलने से पहले बाबा भैरवनाथ की पूजा होती है, उसके बाद बाबा केदार की पंचमुखी डोली को उखीमठ से केदारनाथ धाम तक ले जाया जाता है। अगले दिन विधिवत पूजा के बाद मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं।

जब सर्दियों में केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होते हैं, तब बाबा केदार उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के ‘गद्दी स्थल’ में छह महीने तक विराजमान रहते हैं। बाबा केदार की पंचमुखी डोली में एक चांदी की भोग मूर्ति विराजमान होती है, जो शीतकालीन प्रवास के दौरान ओंकारेश्वर मंदिर में पूजित होती है। फिर इसी डोली में भोग मूर्ति को केदारनाथ लाया जाता है और वहां छह महीने तक पूजा होती है।

चारधाम यात्रा की शुरुआत इस वर्ष 30 अप्रैल 2025 से होगी। इसी दिन यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुलेंगे। इसके बाद 2 मई को केदारनाथ और 4 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे। हर साल हजारों श्रद्धालु उत्तराखंड के इन चार धामों की यात्रा पर निकलते हैं। यात्रा की पारंपरिक क्रम में पहले यमुनोत्री, फिर गंगोत्री, उसके बाद केदारनाथ और अंत में बद्रीनाथ के दर्शन किए जाते हैं। चारधाम यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि आस्था और श्रद्धा के सबसे बड़े प्रतीकों में से एक मानी जाती है। इस वर्ष भी भक्तों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है।

Digikhabar Editorial Team
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