पटना: आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग (ECI) ने राज्य में अपनी जमीनी समीक्षा प्रक्रिया शुरू कर दी है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को पटना पहुंचा। यह दौरा बिहार में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
पटना में सभी दलों के साथ बैठक जारी
पटना के ताज होटल में मुख्य चुनाव आयुक्त की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण सर्वदलीय बैठक चल रही है। इस बैठक में चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी के साथ-साथ बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद गुंज्याल और वरिष्ठ चुनाव अधिकारी भी मौजूद हैं। बिहार की 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल हैं। इसमें चुनाव प्रक्रिया से जुड़े विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की जा रही है।
चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इस दौरे की जानकारी दी और लिखा,
“मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयुक्त डॉ. संधू एवं डॉ. जोशी की अध्यक्षता में ECI प्रतिनिधिमंडल आज पटना पहुंचा है। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा की जा रही है।”
चुनाव आयोग के बिहार दौरे से पहले दिल्ली में 425 अधिकारियों को चुनाव पर्यवेक्षक के तौर पर तैयार किया गया है। इनमें 287 आईएएस, 58 आईपीएस और अन्य सेवाओं के 80 अधिकारी शामिल हैं। यह बैठक इंडियन इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट (IIIDEM) में हुई।
सीईसी ज्ञानेश कुमार ने इस अवसर पर पर्यवेक्षकों को “लोकतंत्र के प्रकाश स्तंभ” (Beacons of Democracy) बताया और निष्पक्षता, पारदर्शिता तथा मतदाता अनुकूल माहौल सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी को दोहराया। उन्होंने पर्यवेक्षकों को यह भी निर्देश दिया कि वे राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और मतदाताओं के साथ संपर्क में रहें और शिकायतों का त्वरित समाधान करें।
संविधान के अनुच्छेद 324 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 20बी के तहत चुनाव आयोग इन पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करता है। इनका कार्य चुनावी प्रक्रिया की निगरानी, नियमों के पालन की जांच और मतदान केंद्रों पर व्यवस्था सुनिश्चित करना होता है।
बिहार चुनाव की संभावित तारीखें
हालांकि बिहार विधानसभा चुनाव की आधिकारिक तिथियां अभी घोषित नहीं की गई हैं, लेकिन सूत्रों के अनुसार चुनाव की तारीखें 6 या 7 अक्टूबर को घोषित की जा सकती हैं। सर्वदलीय बैठक और तैयारियों की तीव्र गति को देखते हुए राज्य का राजनीतिक माहौल तेजी से चुनावी मोड़ ले रहा है। जैसे-जैसे चुनाव आयोग की निगरानी और समीक्षा प्रक्रिया आगे बढ़ रही है, प्राथमिकता यह सुनिश्चित करने पर है कि बिहार विधानसभा चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से संपन्न हों, जिससे मतदाता अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का निर्भय होकर उपयोग कर सकें।













