मुंबई: महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद के बीच, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने एक बार फिर अपने सख्त रुख का इज़हार किया है। शनिवार को MNS मुंबई अध्यक्ष संदीप देशपांडे ने एक धमकी देते हुए कहा कि जो लोग महाराष्ट्र में रहते हुए मराठी नहीं बोलते, उन्हें राज्य छोड़ देना चाहिए। उन्होंने इन्हें ‘देशद्रोही’ भी करार दिया।
संदीप देशपांडे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, “जो लोग महाराष्ट्र में रहते हुए मराठी नहीं बोलने की धमकी देते हैं, वे महाराष्ट्र के गद्दार हैं। जो मराठी नहीं बोलना चाहते, उन्हें महाराष्ट्र छोड़ देना चाहिए। वरना हम महाराष्ट्र के गद्दारों को उनकी हैसियत दिखा देंगे।”
इस बयान के बाद राज्य में भाषा को लेकर विवाद और बढ़ सकता है। इससे पहले शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी मराठी भाषा को लेकर अपने विचार साझा किए थे। उन्होंने कहा था कि मराठी भाषा को अनिवार्य बनाना गलत नहीं है, लेकिन अगर लोग इसे लेकर कानून अपने हाथ में लेंगे तो यह स्वीकार्य नहीं होगा।
MNS की ओर से मराठी भाषा के प्रचार-प्रसार को लेकर जोर-शोर से अभियान चलाया जा रहा है। खासकर आगामी नगर निगम चुनावों के मद्देनजर मुंबई, ठाणे, पुणे, नाशिक और नागपुर जैसे प्रमुख शहरों में पार्टी मराठी को सरकारी कामकाजी भाषा बनाने की कोशिश में जुटी है।
इसके अलावा, MNS ने हाल ही में बैंकों में कर्मचारियों से मराठी में संवाद करने का दबाव बनाया है। ठाणे और पुणे जिले के दो बैंकों के मैनेजरों से MNS कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर तीखी बहस की थी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
गुडि पदवा के मौके पर आयोजित एक रैली में राज ठाकरे ने भी यह चेतावनी दी थी कि जो जानबूझकर मराठी नहीं बोलते, उन्हें “थप्पड़ मारा जाएगा”। MNS की यह कड़ी नीति अब राज्य में एक नया राजनीतिक और सामाजिक विवाद उत्पन्न कर सकती है।