Mahashivratri 2025: जानें कब है महाशिवरात्रि 26 या 27 फरवरी? जानिए मुहूर्त, और पूजन विधि

Mahashivratri 2025: जानें कब है महाशिवरात्रि 26 या 27 फरवरी? जानिए मुहूर्त, और पूजन विधि
Mahashivratri 2025: जानें कब है महाशिवरात्रि 26 या 27 फरवरी? जानिए मुहूर्त, और पूजन विधि

नई दिल्ली: महाशिवरात्रि भारत में हर्षोल्लास से मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू पर्व है। इसे ‘महान शिव की रात्रि’ के रूप में भी जाना जाता है। यह पर्व भगवान शिव, जो हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं, को समर्पित है। महाशिवरात्रि दक्षिण भारतीय पंचांग के अनुसार माघ और उत्तर भारतीय पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।

महाशिवरात्रि 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

इस वर्ष महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। द्रिक पंचांग के अनुसार, पूजा और व्रत का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा:

  • चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 26 फरवरी, सुबह 11:08 बजे
  • चतुर्दशी तिथि समाप्त: 27 फरवरी, सुबह 08:54 बजे
  • निशीथ काल पूजा मुहूर्त: 27 फरवरी, रात 12:27 बजे से 01:16 बजे तक
  • शिवरात्रि पारण समय: 27 फरवरी, सुबह 06:59 बजे से 08:54 बजे तक

महाशिवरात्रि का महत्व

इस पावन रात्रि को लेकर कई धार्मिक मान्यताएँ प्रचलित हैं—

  1. भगवान शिव का तांडव नृत्य: कहा जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने ब्रह्मांड के निर्माण, पालन और संहार के प्रतीक रूप में तांडव नृत्य किया था।
  2. शिव-शक्ति का पावन मिलन: यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिन शिव और शक्ति के मिलन की आराधना की जाती है।
  3. आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार: ईशा फाउंडेशन के अनुसार, महाशिवरात्रि की रात को पृथ्वी का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार स्थित होता है कि मानव शरीर में एक प्राकृतिक ऊर्जा संचारित होती है। इसी कारण इस रात जागरण करने, ध्यान लगाने और रीढ़ को सीधा रखकर बैठने की परंपरा है।

महाशिवरात्रि पूजन विधि

महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धालु रुद्राभिषेक, बेलपत्र अर्पण, धतूरा, भांग, गंगाजल और दूध से भगवान शिव की पूजा करते हैं। इस दिन रात्रि जागरण, मंत्र जाप (ॐ नमः शिवाय) और शिव कथा का पाठ करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

कैसे करें इस पर्व की तैयारी?

भगवान शिव के भक्तों को शिवलिंग की विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए और उपवास रखकर रात्रि जागरण करना चाहिए। इस दिन की गई साधना और आराधना से न केवल मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं बल्कि आत्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा भी प्राप्त होती है।

Digikhabar Editorial Team
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