महावीर जयंती: जैन धर्म के आध्यात्मिक प्रतीक के जन्म का जश्न

Mahavir Jayanti
Mahavir Jayanti

महावीर जयंती: जैन धर्म के आध्यात्मिक प्रतीक के जन्म का जश्न

महावीर जयंती: जैन धर्म के आध्यात्मिक प्रतीक के जन्म का जश्न

महावीर जयंती जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। भगवान महावीर अपनी गहन शिक्षाओं, तपस्वी जीवनशैली और गहन आध्यात्मिक ज्ञान के लिए पूजनीय हैं। वह कई कारणों से जैन धर्म में प्रसिद्ध हैं:

1- जैन धर्म के संस्थापक: महावीर को जैन धर्म का संस्थापक माना जाता है, हालाँकि जैन धर्म के सिद्धांत उनसे भी पहले के हैं। उन्होंने जैन धर्म की मान्यताओं, प्रथाओं और सिद्धांतों को संहिताबद्ध और व्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिन्हें बाद में उनके अनुयायियों द्वारा प्रचारित किया गया।

2- अहिंसा का मार्ग (अहिंसा): महावीर ने जैन दर्शन की आधारशिला के रूप में अहिंसा या अपरिग्रह के सिद्धांत पर जोर दिया। उन्होंने सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया का उपदेश दिया और सभी रूपों में जीवन की सुरक्षा की वकालत की। अहिंसा पर उनकी शिक्षाएं जैन और गैर-जैनियों को समान रूप से शांति और सद्भाव का जीवन जीने के लिए प्रेरित करती रहती हैं।

3- तपस्या का अभ्यास: महावीर ने सांसारिक सुखों को त्याग दिया और आध्यात्मिक मुक्ति की खोज में एक तपस्वी जीवन शैली अपनाई। उन्होंने आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए वर्षों तक कठोर तपस्या, ध्यान और आत्म-अनुशासन का अभ्यास किया। आध्यात्मिक गतिविधियों के प्रति उनका समर्पण आध्यात्मिक विकास और ज्ञानोदय चाहने वाले अनुयायियों के लिए एक उदाहरण के रूप में कार्य करता है।

4- कर्म का सिद्धांत: महावीर ने कर्म के सिद्धांत की व्याख्या की, जिसमें कहा गया है कि किसी के कार्यों (कर्म) के परिणाम होते हैं जो भविष्य के अनुभवों और जीवनकाल को प्रभावित करते हैं। उन्होंने जन्म और मृत्यु के चक्र (संसार) से मुक्ति पाने के लिए नैतिक आचरण, धार्मिक जीवन और आत्मा की शुद्धि के महत्व पर जोर दिया।

5- जैन नैतिकता पर शिक्षा: महावीर ने जैन नैतिकता पर शिक्षा दी, जिसमें सत्यता (सत्य), चोरी न करना (अस्तेय), ब्रह्मचर्य (ब्रह्मचर्य), और अपरिग्रह (अपरिग्रह) जैसे सिद्धांत शामिल हैं। ये नैतिक सिद्धांत जैन नैतिक आचरण की नींव बनाते हैं और अनुयायियों को एक सदाचारी जीवन जीने में मार्गदर्शन करते हैं।

कुल मिलाकर, अहिंसा, तपस्या, कर्म और नैतिक जीवन पर महावीर की शिक्षाओं का जैन धर्म पर गहरा प्रभाव पड़ा है, जिसने इसके दर्शन, प्रथाओं और सांस्कृतिक लोकाचार को आकार दिया है। महावीर जयंती जैनियों के लिए उनकी शिक्षाओं पर विचार करने, उनके जीवन का जश्न मनाने और जैन धर्म के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने का एक अवसर है।

Digikhabar Editorial Team
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