सद्गुरु और ईशा फाउंडेशन पर लगे नए गंभीर आरोप, ईमेल के जरिए हुआ खुलासा, बिना कपड़ों की लड़कियों को दी जा रही है दीक्षा

सद्गुरु और ईशा फाउंडेशन पर लगे नए गंभीर आरोप, ईमेल के जरिए हुआ खुलासा, बिना कपड़ों की लड़कियों को दी जा रही है दीक्षा
सद्गुरु और ईशा फाउंडेशन पर लगे नए गंभीर आरोप, ईमेल के जरिए हुआ खुलासा, बिना कपड़ों की लड़कियों को दी जा रही है दीक्षा

कोयंबटूर स्थित ईशा फाउंडेशन और इसके संस्थापक जग्गी वासुदेव उर्फ़ सद्गुरु एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। हाल ही में लीक हुई कुछ ईमेल्स ने आश्रम के अंदर बाल ब्रह्मचारी साधना से जुड़े चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

लीक हुई ईमेल से हुआ बड़ा खुलासा

पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता श्याम मीरा सिंह ने एक ईमेल ट्रांसक्रिप्ट को उजागर किया है, जिसमें एक वरिष्ठ साध्वी मां प्रद्युता ने सद्गुरु को 16 मई 2017 को भेजे गए मेल में दो गंभीर चिंताओं को साझा किया था—

  1. सुबह 3 बजे की जाने वाली सिद्धासन साधना के दौरान नाबालिग लड़कियों का नींद से जूझना।
  2. दीक्षा के दौरान लड़कियों से उनके ऊपरी वस्त्र हटाने की मांग, जिससे उनकी रीढ़ पूरी तरह से दिखाई दे।

ईमेल में लिखा गया है कि जब लड़कियों से ऐसा करने के लिए कहा जाता है, तो उनके चेहरे के हाव-भाव बदल जाते हैं। हालांकि, वे आदेश का पालन करती हैं क्योंकि वे “श्रद्धालु और आज्ञाकारी” होती हैं।

मां प्रद्युता ने यह भी चेतावनी दी थी कि “लड़कियां, लड़कियां होती हैं। वे शायद अभी नहीं, लेकिन बाद में कभी अपने माता-पिता या शिक्षकों से इस बारे में साझा कर सकती हैं।” उन्होंने आगे लिखा कि “इससे संस्था के लिए बड़ा जोखिम पैदा हो सकता है।”

पहले भी विवादों में रहा है ईशा फाउंडेशन

यह पहली बार नहीं है जब सधगुरु और उनकी संस्था पर सवाल उठे हैं—

  • 2022 में फाउंडेशन पर पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन का आरोप लगा था।
  • 2023 में ‘सेव सॉइल’ अभियान की फंडिंग को लेकर विवाद हुआ था।
  • 2024 में दो महिला संन्यासियों को जबरदस्ती रोकने के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा था। हालांकि, कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया था।

ईशा फाउंडेशन की चुप्पी और बढ़ते सवाल

इस ताजा खुलासे के बाद सवाल उठ रहे हैं—

  • क्या आध्यात्मिकता के नाम पर नाबालिगों का शोषण किया जा रहा था?
  • क्या प्रशासन इस मामले की जांच करेगा?
  • अगर ये आरोप झूठे हैं, तो ईशा फाउंडेशन खुलकर सफाई क्यों नहीं दे रहा?

फिलहाल ईशा फाउंडेशन और सधगुरु की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन इस मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या बड़े आध्यात्मिक संगठनों की कार्यप्रणाली पर कड़ी निगरानी की जरूरत है?

Digikhabar Team
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