मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू, सीएम पद पर सस्पेंस बरकरार

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू, सीएम पद पर सस्पेंस बरकरार
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू, सीएम पद पर सस्पेंस बरकरार

इंफाल: मणिपुर में गुरुवार को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया, क्योंकि मुख्यमंत्री बिरेन सिंह के इस्तीफे के बाद भी नए नेता को लेकर सहमति नहीं बन पाई। बीजेपी नेतृत्व बीते कुछ दिनों से नए मुख्यमंत्री के चयन पर चर्चा कर रहा था, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका।

बिरेन सिंह के इस्तीफे के बाद बढ़ी सियासी हलचल

मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह ने 9 फरवरी (रविवार) को इस्तीफा दिया था। इससे पहले, उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। मणिपुर में 21 महीने से जारी जातीय हिंसा के कारण विपक्ष लगातार उनके इस्तीफे की मांग कर रहा था, लेकिन सिंह अब तक इससे इनकार कर रहे थे।

बीजेपी के पूर्वोत्तर मामलों के प्रभारी संबित पात्रा लगातार पार्टी के विधायकों के साथ बैठकें कर रहे थे, लेकिन नेतृत्व के मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई। पात्रा ने बीते दो दिनों में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से भी दो बार मुलाकात की थी।

नई सरकार को लेकर सस्पेंस बरकरार

मंगलवार को पात्रा और मणिपुर बीजेपी अध्यक्ष ए. शारदा देवी ने राज्यपाल भल्ला से मुलाकात की। बुधवार को फिर से पात्रा ने राज्यपाल से बात की और राज्य के मौजूदा हालात पर चर्चा की। इसके अलावा, पात्रा ने राज्य के मंत्री एल. सुसिंद्रो और विधायक करम श्याम समेत बीजेपी विधायकों के साथ भी बैठक की।

बीजेपी विधायक करम श्याम ने कहा कि बिरेन सिंह के इस्तीफे के बाद कोई संवैधानिक संकट नहीं है और पार्टी नेतृत्व जल्द ही इस मुद्दे को हल कर लेगा। हालांकि, राज्य विधानसभा के दो सत्रों के बीच अधिकतम छह महीने का अंतराल समाप्त होने पर क्या होगा, इस पर उन्होंने “देखते हैं आगे क्या होता है” कहकर टाल दिया।

कांग्रेस ने उठाए सवाल

कांग्रेस विधायक थोकचोम लोकेश्वर ने संबित पात्रा के मणिपुर दौरे पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “अगर पात्रा राज्य का नेतृत्व संकट सुलझाने आए हैं, तो उन्हें बीजेपी विधायकों के साथ बैठक कर नए सीएम की नियुक्ति करनी चाहिए थी। लेकिन उनकी यात्रा सिर्फ यह सुनिश्चित करने के लिए है कि विधानसभा सत्र न हो और राज्य के मुद्दे दबे रहें। अब तक उन्होंने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।”

संवैधानिक संकट की ओर बढ़ रहा है मणिपुर?

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द ही कोई भी सरकार बनाने का दावा नहीं करता, तो मणिपुर एक बड़े संवैधानिक संकट की ओर बढ़ सकता है। इस स्थिति को देखते हुए राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है।

गौरतलब है कि राज्यपाल ने पहले ही 12वीं मणिपुर विधानसभा के सातवें सत्र (जो 10 फरवरी से शुरू होना था) को शून्य और अमान्य घोषित कर दिया था। विधानसभा का अंतिम सत्र 12 अगस्त 2024 को समाप्त हुआ था।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी नेतृत्व मणिपुर में राजनीतिक अस्थिरता को कैसे दूर करता है और नए मुख्यमंत्री का चयन कब तक हो पाता है।

Digikhabar Editorial Team
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