कोविशील्ड वैक्सिन की सच्चाई कंपनी ने सरकार को थी बताई, फिर सरकार ने देश से क्यों छुपाई

Covishield vaccine
Covishield vaccine

कोविशील्ड वैक्सिन की सच्चाई कंपनी ने सरकार को थी बताई, फिर सरकार ने देश से क्यों छुपाई

कोविशील्ड वैक्सिन की सच्चाई कंपनी ने सरकार को थी बताई, फिर सरकार ने देश से क्यों छुपाई

आज हम खबर दिखाने या बताने नहीं आए हैं बल्कि सवाल पुछने आए हैं। आप से, सरकार से, हमारे मेडिकल स्टाफ से। खैर सवाल पूछने से पहले आपको बता दें कि AstraZeneca के साइड इफेक्ट्स का मुद्दा चर्चा में है। इसी बीच खबर है कि अब एक परिवार ने अपनी बेटी की मौत को लेकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया यानी SII के खिलाफ कोर्ट पहुंच गया है। कहा जा रहा है कि कोविशील्ड का पहला डोज लेने के कुछ दिनों बाद ही महिला की मौत हो गई थी। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में जब कोविड आया, तब 18 की रितैका श्री ओमत्री ने मई में कोविशील्ड का पहला डोज लिया था। हालांकि, सात दिनों के अंदर उन्हें तेज बुखार आया और चलने में दिक्कत होने लगी थी। रिपोर्ट के अनुसार, MRI स्कैन में दिखाया गया था कि उनके दिमाग में खून के कई थक्के और हैमरेज है। दो सप्ताह के अंदर महिला की मौत हो गई थी। महिला के पैरेंट्स को मौत की असली वजह की जानकारी नहीं थी और उन्होंने इस संबंध में RTI दाखिल की। दिसंबर 2021 में दाखिल आरटीआई से उन्हें पता चला कि महिला ‘थ्रोम्बोसाइटोपीनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस’ से जूझ रही थीं और उनकी मौत ‘वैक्सीन प्रोडक्ट से जुड़े रिएक्शन की वजह से हुई थी।’ जब हमने डॉ यशोमीत मिश्रा से बात की तो उन्होंने बताया कि हाल ही में एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि उनकी वैक्सीन से रेयर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। जो एस्ट्राजेनेका ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बनाई है। जिसका एक्यूरेसी रेट 90% है। एस्ट्राज़ेनेका ने कोर्ट में माना है कि ‘May lead to rare side effect’ इसका मतलब है ‘शायद कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं’

आगे उन्होंने कहा कि सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के अनुसर, वैक्सीन की दूसरी खुराक उन मरीज़ों को नहीं दी जानी थी, जिन्हें गंभीर एलर्जी प्रतिक्रियाएं थीं, दूसरा प्रमुख रक्त का थक्का जमना के मामले थे, साथ ही हाई साइट पीआर उनमे भी contraindicated थी जिनमें प्लेटलेट्स कम (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया) थे . लेकिन सवाल उठता है कि जब साइट पर पूरी जानकारी उपलब्ध थी तो टीकाकरण अभियान में इसका ध्यान क्यों नहीं रखा गया? कंपनी का तो पता नहीं, पर क्या सरकार ने लोगो को ये जानकारी दी थी? अगर जानकारी दी थी तो क्या मेडिकल स्टाफ ने वैक्सीन लगवाते हुए मरीज से पूछा था? अगर मेडिकल स्टाफ ने पूछा था तो लोगो ने ये टीकाकरण लगवाया क्यों?

Digikhabar Editorial Team
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