घंटों बाद भी नहीं बुझी ‘कूड़े के पहाड़’ में लगी आग, जहरीली गैस से घूंट रहा है लोगों का दम
घंटों बाद भी नहीं बुझी ‘कूड़े के पहाड़’ में लगी आग, जहरीली गैस से घूंट रहा है लोगों का दम
दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डर पर बने गाजीपुर स्थित कूड़े के पहाड़ में बीती शाम अचानक आग लग गई। देखते ही देखते आग ने कूड़े के पहाड़ के एक बड़े हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया। आग की लपटें चारों ओर फैल गई। ताजा रिपोर्ट के मुताबित, गाजीपुर लैंडफिल साइट से धुआं निकलना जारी है। दिल्ली फायर सर्विसेज का कहना है कि आग लैंडफिल में पैदा हुई गैस के कारण लगी थी। किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। इस आग की वजह से आसपास के इलाके में जहरीली गैस फैल गई है, जिसकी वजह से लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है. लैंडफिल साइट पर आग इतनी तेज लगी कि धुएं का गुबार आसमान छू रहा था. इस जहरीले धुएं से न केवल दिल्ली वालों बल्कि उससे सटे नोएडा और गाजियाबाद वालों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लैंडफिल साइट पर आग बुझाने के लिए दमकल की 30 से ज्यादा गाड़ियां लगी हुई हैं.
पूरी रात आग पर काबू पाने की कोशिश होती रही हालांकि अबतक आग पर पूरी तरह काबू नहीं पाया जा सका है. कई हिस्सों में आग रुक-रुककर धधक रही है. यहां अभी भी धुएं का गुबार उठ रहा है. दिल्ली में गाजीपुर, भलस्वा और ओखला तीन प्रमुख लैंडफिल साइट्स हैं जहां कचरों के ढेर में आग लगना कोई नई बात नहीं है. यहां हर साल गर्मियों के मौसम में जैस ही तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है तो लैंडफिल साइट में आग लग जाती है, जिससे आस-पास रहने वालों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. दिल्ली फायर सर्विस एसओ नरेश कुमार ने बताया कि आग लैंडफिल में पैदा हुई गैस के कारण लगी थी। किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। दमकल कर्मियों का कहना था कि कूड़ों के पहाड़ में लगी आग अक्सर कई-कई दिनों तक चल जाती है।
फिलहाल आग पर काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है। एक जगह आग बुझाई जाती है तो दूसरी जगह भड़क जाती है। वहीं, लैंडफिल साइट के आसपास रह रहे स्थानीय लोगों का कहना है कि गर्मियों में अक्सर यहां आग लग जाती है। पुलिस के मुताबिक रविवार शाम करीब 5.22 बजे सूचना मिली कि गाजीपुर लैंडफिल साइट में आग लग गई है। दमकल विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कूड़े के दबाव से वहां मीथेन गैस बनती है, जिससे बार-बार दोबारा आग भड़कती है। आग गर्मी से खुद लगी या किसी मानवीय भूल की वजह से इसका पता आभी तक नहीं चल सका है।