
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता उदित राज ने भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि Axiom-4 मिशन में इस बार एक दलित अंतरिक्ष यात्री को भेजा जाना चाहिए था। उनका यह बयान उस वक्त आया जब पूरा देश शुक्ला की इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से सुरक्षित वापसी का जश्न मना रहा है।
उदित राज ने क्या कहा?
एएनआई से बातचीत में उदित राज ने कहा:
“जब पहले राकेश शर्मा को भेजा गया था, उस वक्त एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लोग इतने शिक्षित नहीं थे। लेकिन इस बार, मुझे लगता है कि एक दलित को मौका दिया जाना चाहिए था।”
उन्होंने आगे कहा:
“ऐसा नहीं है कि NASA ने कोई परीक्षा ली और फिर चयन किया। शुक्ला जी की जगह कोई भी दलित या ओबीसी जा सकता था।”
भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का गौरव
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बने हैं, और पहले भारतीय हैं जिन्होंने ISS पर कदम रखा। वे Axiom Space, NASA और SpaceX के साझा मिशन Axiom-4 में पायलट की भूमिका में थे। मिशन में उनके साथ अमेरिका की पेगी व्हिटसन (कमांडर), पोलैंड के स्लावोस्ज उज़्नान्स्की-विस्निवेस्की, और हंगरी के टिबोर कापू भी शामिल थे।
शुक्ला 25 जून को Kennedy Space Center से लॉन्च हुए थे और 18 दिन अंतरिक्ष में बिताने के बाद 15 जुलाई को प्रशांत महासागर में सुरक्षित लौटे।
देशभर में हो रही है तारीफ
शुक्ला की सफलता पर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ISRO, और लाखों भारतीयों ने गर्व जताया है, वहीं उदित राज की इस टिप्पणी को राजनीतिकरण और जातिवादी दृष्टिकोण करार दिया जा रहा है। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने उनके बयान की आलोचना करते हुए कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान और अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में योग्यता को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, न कि जाति को।
राकेश शर्मा की तुलना
गौरतलब है कि भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री विंग कमांडर राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के इंटरकोसमॉस कार्यक्रम के तहत अंतरिक्ष यात्रा की थी। और अब 41 साल बाद, शुभांशु शुक्ला ने भारत को एक बार फिर वैश्विक मानव अंतरिक्ष मिशन की अग्रिम पंक्ति में ला खड़ा किया है।
उदित राज का बयान निश्चित रूप से बहस को जन्म देगा कि आरक्षण और प्रतिनिधित्व की मांग क्या वैज्ञानिक व तकनीकी क्षेत्रों में भी लागू होनी चाहिए, या फिर इन क्षेत्रों में पूर्णत: योग्यता आधारित चयन ही देश और विज्ञान के हित में है। फिलहाल, शुभांशु शुक्ला की वापसी से भारत का अंतरिक्ष इतिहास एक नए अध्याय में प्रवेश कर चुका है – और देश गर्व से यह कह रहा है: “भारत का लाल अंतरिक्ष से लौट आया है।”