क्या है DOGE और भारत की क्यों गरमाई राजनीति ? चुनाव में हार जीत पर खुला बड़ा राज

क्या है DOGE और भारत की क्यों गरमाई राजनीति ? चुनाव में हार जीत पर खुला बड़ा राज
क्या है DOGE और भारत की क्यों गरमाई राजनीति ? चुनाव में हार जीत पर खुला बड़ा राज

नई दिल्ली: अमेरिकी सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) ने कई अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं के फंडिंग पर रोक लगा दी है, जिसमें भारत में मतदाता टर्नआउट बढ़ाने के लिए आवंटित 21 मिलियन डॉलर भी शामिल हैं। DOGE के प्रमुख एलन मस्क द्वारा इस फैसले की घोषणा X (पूर्व में ट्विटर) पर की गई, जिसके बाद भारत में विदेशी फंडिंग को लेकर बहस छिड़ गई है।

DOGE ने फंडिंग रोकने की दी जानकारी

DOGE ने एक आधिकारिक पोस्ट में बताया कि अमेरिका द्वारा कुल 486 मिलियन डॉलर की फंडिंग पर रोक लगाई गई है। इसमें शामिल प्रमुख कटौती:

  • भारत में मतदाता टर्नआउट बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर
  • मोल्दोवा में ‘समावेशी राजनीतिक प्रक्रिया’ के लिए 22 मिलियन डॉलर
  • बांग्लादेश में राजनीतिक सुदृढ़ीकरण के लिए 29 मिलियन डॉलर
  • नेपाल में जैव विविधता संरक्षण और वित्तीय संघवाद के लिए 39 मिलियन डॉलर
  • लाइबेरिया में मतदाता विश्वास बढ़ाने के लिए 1.5 मिलियन डॉलर

भारत में विदेशी हस्तक्षेप पर गरमाई राजनीति

DOGE की इस घोषणा के बाद भारत में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। भाजपा नेता अमित मालवीय ने X पर लिखा,
“21 मिलियन डॉलर सिर्फ भारत में मतदाता टर्नआउट बढ़ाने के लिए? यह भारत की चुनावी प्रक्रिया में सीधा विदेशी हस्तक्षेप है। इससे फायदा किसे होगा? निश्चित रूप से सत्ताधारी पार्टी को नहीं!”

अमित मालवीय ने उठाए IFES और जॉर्ज सोरोस पर सवाल

मालवीय ने 2012 की एक रिपोर्ट साझा करते हुए कहा कि उस समय भारत के चुनाव आयोग (EC) और इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स (IFES) के बीच एक समझौता (MoU) हुआ था।
उन्होंने लिखा,
“एक बार फिर, कांग्रेस और गांधी परिवार से जुड़े जॉर्ज सोरोस की छाया भारत की चुनावी प्रक्रिया पर दिख रही है। 2012 में, जब एस. वाई. कुरैशी चुनाव आयोग के प्रमुख थे, तब IFES के साथ एक समझौता हुआ था। यह संगठन जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से जुड़ा हुआ है, जिसे मुख्य रूप से USAID फंड करता है।”

उन्होंने आगे कहा,
“विडंबना यह है कि जो लोग भारत के चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हैं, वे खुद पूरी चुनावी प्रक्रिया को विदेशी ताकतों के हाथों में सौंपने को तैयार हैं।”

DOGE के फैसले की पृष्ठभूमि

DOGE, जिसे डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति कार्यकाल में सरकारी खर्चों में कटौती के लिए स्थापित किया गया था, लगातार सरकारी बजट को कम करने के लिए काम कर रहा है। हाल ही में इस विभाग ने अमेरिकी ट्रेजरी भुगतान प्रणाली तक पहुंच की मांग की थी, जिसे लेकर विवाद खड़ा हुआ था।

मोदी-मस्क मुलाकात के बाद आया यह फैसला

DOGE के इस फैसले की घोषणा ऐसे समय में आई है जब हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी दौरे के दौरान एलन मस्क से मुलाकात की थी। इस बैठक में स्पेस एक्सप्लोरेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और गवर्नेंस में सहयोग पर चर्चा हुई थी।

अमेरिकी फंडिंग पर भारत में बढ़ी सतर्कता

इस फैसले के बाद भारत में विदेशी संस्थाओं द्वारा चुनावी हस्तक्षेप पर नई बहस छिड़ गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में इस विषय पर और तीखी चर्चाएं देखने को मिल सकती हैं।

Digikhabar Team
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