प्रयागराज। दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महा कुम्भ 2025 अपने भव्य स्वरूप में प्रयागराज में जारी है। उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, महाकुम्भ के प्रारंभिक 17 दिनों में 15 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई है।
मकर संक्रांति पर पहला अमृत स्नान
मकर संक्रांति के अवसर पर, जो महाकुम्भ का पहला ‘अमृत स्नान’ था, करीब 3.5 करोड़ श्रद्धालु, संत और कल्पवासी इस पवित्र स्नान में शामिल हुए। उत्तर प्रदेश सूचना विभाग के अनुसार, मंगलवार (28 जनवरी) तक 35.50 लाख श्रद्धालु पवित्र स्नान कर चुके हैं, जबकि अब तक कुल 147.6 मिलियन लोग गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्नान कर चुके हैं।
दूसरा अमृत स्नान: मौनी अमावस्या
महाकुम्भ में अगला बड़ा स्नान पर्व मौनी अमावस्या (29 जनवरी) को होगा, जिसे दूसरा ‘अमृत स्नान’ कहा जाता है। अनुमान है कि इस दिन 8 से 10 करोड़ श्रद्धालु पवित्र स्नान करेंगे। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए कड़े इंतजाम किए हैं। पूरे क्षेत्र में पुलिस और सुरक्षा बलों की निगरानी बढ़ा दी गई है।
राजनीतिक और धार्मिक हस्तियों की उपस्थिति
महाकुम्भ में कई राजनीतिक और धार्मिक हस्तियां भी संगम पर आस्था प्रकट कर रही हैं। सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बाबा रामदेव और अन्य संतों के साथ त्रिवेणी संगम में स्नान किया। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और किरन रिजिजू सहित अन्य नेताओं ने भी पवित्र स्नान कर कुम्भ का हिस्सा बने।
महा कुम्भ 2025 की भव्यता
हर 12 साल में आयोजित होने वाला महाकुम्भ 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। इस दौरान, गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने का धार्मिक महत्व माना जाता है, जो पापों से मुक्ति और मोक्ष की ओर ले जाता है।
मुख्य स्नान तिथियों में:
- 29 जनवरी: मौनी अमावस्या (दूसरा अमृत स्नान)
- 3 फरवरी: वसंत पंचमी (तीसरा अमृत स्नान)
- 12 फरवरी: माघी पूर्णिमा
- 26 फरवरी: महा शिवरात्रि
प्रबंधन और सुविधाएं
महा कुम्भ 2025 में 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है, जो इसे भारत का सबसे भव्य आयोजन बना रहा है। सरकार और प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्था की है। संगम क्षेत्र में साफ-सफाई, पानी और खाने-पीने की सुविधाओं के साथ-साथ भीड़ प्रबंधन पर भी विशेष ध्यान दिया गया है।
महा कुम्भ 2025 न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का जीवंत उदाहरण भी है। श्रद्धालुओं की अटूट आस्था और संगम पर उमड़ी भीड़ इस आयोजन की ऐतिहासिकता और महत्व को और भी बढ़ा देती है।