नई दिल्ली: करवा चौथ भारतीय विवाहित महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो पति की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं। अविवाहित महिलाएं भी इस व्रत को आदर्श जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए करती हैं।
करवा चौथ 2025 की तारीख और समय
करवा चौथ 2025 में शुक्रवार, 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
व्रत का समय सुबह 6:19 बजे से रात 8:13 बजे तक रहेगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:57 बजे से 7:11 बजे तक होगा।
चंद्रोदय रात 8:13 बजे होगा।
करवा चौथ व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक धनी व्यापारी की सात संतानें थीं और एक बेटी थी जिसका नाम करवा था। करवा चौथ के दिन जब वह व्रत कर रही थी, उसके भाइयों को उसकी भूख और प्यास देखी नहीं गई। सबसे छोटे भाई ने पीपल के पेड़ के नीचे दीप जलाकर चंद्रमा का आभास कराया। करवा ने चंद्रमा मानकर व्रत तोड़ दिया। लेकिन तुरंत उसके पति की मृत्यु का समाचार आया।
वह बेहद दुखी हुई और अगले वर्ष सच्चे मन से कठिन व्रत किया। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवताओं ने उसके पति को जीवनदान दिया। तब से यह कथा करवा चौथ पर सुनाई जाती है, जो श्रद्धा, धैर्य और समर्पण का प्रतीक है।
करवा चौथ के रीति-रिवाज और महत्व
महिलाएं दिन की शुरुआत सर्गी से करती हैं, जो उन्हें सास की ओर से सूर्योदय से पहले दी जाती है।
इसके बाद वे निर्जला व्रत का पालन करती हैं।
शाम को महिलाएं एकत्र होकर करवा चौथ की पूजा करती हैं, व्रत कथा सुनती हैं और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
चांद निकलने के बाद महिलाएं छलनी से चंद्र दर्शन करती हैं, अर्घ्य अर्पित करती हैं और फिर पति के दर्शन कर व्रत खोलती हैं।
यह व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक माना जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र.1: करवा चौथ 2025 में कब है?
उ.1: करवा चौथ 2025 में 10 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा।
प्र.2: पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
उ.2: शाम 5:57 बजे से 7:11 बजे तक।
प्र.3: चांद कब निकलेगा?
उ.3: चांद रात 8:13 बजे निकलेगा।
प्र.4: महिलाएं क्या पहनती हैं?
उ.4: महिलाएं आमतौर पर लाल, गुलाबी, मैरून या सुनहरे रंग की साड़ी और पारंपरिक आभूषण पहनती हैं।
प्र.5: करवा चौथ का महत्व क्या है?
उ.5: यह व्रत पति की लंबी उम्र, प्रेम और दांपत्य सुख की कामना के लिए किया जाता है।
करवा चौथ 2025 में भी महिलाएं पूरे श्रद्धा और आस्था से यह पर्व मनाएंगी। सर्गी से लेकर चंद्रदर्शन तक, यह दिन हर विवाहित महिला के लिए विशेष होता है, जो पारंपरिक मूल्यों, प्रेम और साथ के बंधन को और गहरा करता है।