
नई दिल्ली: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह दो बार आने वाली एकादशी तिथि में पापांकुशा एकादशी का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्रद्धा से उपवास करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पापांकुशा एकादशी 2025 में कब है?
पापांकुशा एकादशी इस वर्ष शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन देशभर में श्रद्धालु उपवास रखकर विष्णु पूजा, भजन, और व्रत कथा का श्रवण करेंगे। उपवास का पारणा अगले दिन द्वादशी तिथि में किया जाएगा।
एकादशी और पारणा के समय
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 2 अक्टूबर 2025 को शाम 7:10 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: 3 अक्टूबर 2025 को शाम 6:32 बजे
- व्रत की तिथि: शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2025
- पारणा (व्रत खोलने का दिन): शनिवार, 4 अक्टूबर 2025
- पारणा का समय: सुबह 6:30 से 8:53 बजे तक
- द्वादशी समाप्ति: 4 अक्टूबर 2025 को शाम 5:09 बजे
पारणा के नियम
- पारणा सूर्योदय के बाद और द्वादशी तिथि में ही करना चाहिए।
- हरि वासर (द्वादशी के पहले चरण) में व्रत नहीं खोलना चाहिए।
- उपवास खोलने का उत्तम समय प्रातःकाल है।
- यदि प्रातःकाल संभव न हो, तो मध्यान्ह के बाद पारणा करें।
- दोनों दिन एकादशी का व्रत केवल सन्यासियों, विधवाओं या मोक्ष की इच्छा रखने वालों के लिए उपयुक्त है। गृहस्थों को पहले दिन ही व्रत रखना चाहिए।
पापांकुशा एकादशी व्रत कथा
पद्म पुराण के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को इस व्रत की महिमा बताते हुए कहा कि पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है और अंत में मोक्ष प्राप्त करता है।
आध्यात्मिक महत्व
पापांकुशा एकादशी केवल उपवास का दिन नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और भगवान विष्णु के प्रति भक्ति का अवसर है। जो भक्त नियमपूर्वक व्रत, कथा श्रवण और पारणा करते हैं, उन्हें जीवन में धर्म, सत्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस वर्ष 3 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी का व्रत रखकर श्रद्धालु भगवान विष्णु से जीवन में धर्ममय मार्ग और पापों से मुक्ति की प्रार्थना करेंगे।