पेरिस: रूस और नाटो के बीच बढ़ते तनाव के बीच फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने गुरुवार को एक अहम घोषणा करते हुए कहा कि पोलैंड में तीन राफेल लड़ाकू विमान तैनात किए जाएंगे। यह कदम यूरोप के पूर्वी मोर्चे की सुरक्षा को मजबूत करने और पोलैंड के हवाई क्षेत्र में रूस के ड्रोन घुसपैठ की घटनाओं के जवाब में उठाया गया है।
मैक्रों ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर बताया कि उन्होंने पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क के साथ इस मसले पर बातचीत की है। साथ ही, नाटो महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ भी इस पर चर्चा हुई है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने कहा कि ये देश पूर्वी मोर्चे की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में बराबर की भागीदारी निभा रहे हैं।
पोलैंड में ड्रोन हमले और नाटो का अनुच्छेद 4 लागू
पोलैंड के उपप्रधानमंत्री राडोस्लाव सिकोरस्की ने इन ड्रोन घुसपैठों को रूस द्वारा जानबूझकर की गई साजिश बताया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हफ्ते देशभर में कुल 16 ड्रोन देखे गए, जिनके मलबे बड़े क्षेत्र में बिखरे हुए पाए गए। पोलैंड के आंतरिक मंत्री ने भी इस बात की पुष्टि की है।
हालांकि पोलैंड अभी युद्ध की स्थिति में नहीं है, लेकिन प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने संसद को संबोधित करते हुए हालात को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे गंभीर खतरा बताया। उन्होंने कहा कि पोलैंड ऐसे दुश्मन का सामना कर रहा है जो खुलकर अपनी शत्रुतापूर्ण मंशा छिपाता नहीं।
इस स्थिति को लेकर पोलैंड ने नाटो के अनुच्छेद 4 को लागू किया है। अनुच्छेद 4 के तहत अगर किसी सदस्य देश को उसकी सुरक्षा या क्षेत्रीय अखंडता को खतरा महसूस होता है, तो सभी सदस्य देश एक साथ बैठकर चर्चा करते हैं और समाधान निकालते हैं। पोलैंड ने इस अनुच्छेद के तहत नाटो सहयोगियों से सुरक्षा पर चर्चा के लिए समर्थन मांगा है।
नाटो और यूरोप की सतर्कता
पोलैंड की सेना ने इस सप्ताह की शुरुआत में रूसी ड्रोन को मार गिराने की घटना को लेकर रूस पर क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। इस घटना ने यूरोप में सुरक्षा की चिंताओं को और बढ़ा दिया है, जिसके मद्देनजर फ्रांस द्वारा लड़ाकू विमानों की तैनाती का फैसला लिया गया।
यह कदम नाटो की पूर्वी सीमाओं की सुरक्षा को सुदृढ़ करने की कोशिशों का हिस्सा है, जो हाल के महीनों में रूस की बढ़ती सैन्य गतिविधियों और साइबर हमलों को देखते हुए किया जा रहा है। यूरोप में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए नाटो सदस्य देशों की सतर्कता बढ़ा दी गई है।