नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने अपनी अलग रह रही पत्नी के परिवार की आयकर जांच कराने की मांग की थी। व्यक्ति ने दावा किया था कि उसकी पत्नी के परिवार ने शादी में 2 करोड़ रुपये का दहेज दिया था और भव्य तरीके से शादी का आयोजन किया था।
कोर्ट ने कहा – यह Matrimonial विवाद है
मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने 19 फरवरी को दिए अपने फैसले में कहा कि यह याचिका पूरी तरह से वैवाहिक विवाद से जुड़ी है और इसमें किसी मौलिक या सांविधिक अधिकार का उल्लंघन नहीं पाया गया।
अदालत ने यह भी माना कि यह मामला बहुत जटिल तथ्यों से जुड़ा हुआ है, जो आयकर विभाग के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इसके अलावा, संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत इस तरह की याचिकाओं पर सुनवाई नहीं की जा सकती।
पति ने आयकर विभाग से जांच की मांग की थी
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि उसकी पत्नी के परिवार द्वारा 2 करोड़ रुपये का नकद लेन-देन किया गया और इसके लिए पिछले 10 वर्षों के आयकर रिटर्न की जांच होनी चाहिए। उसने कर चोरी, झूठी गवाही और वित्तीय गड़बड़ी को लेकर कानूनी कार्रवाई की मांग भी की थी।
कोर्ट ने कहा – ‘Fishing Inquiry’ की इजाजत नहीं
पति-पत्नी की शादी 2022 में हुई थी, लेकिन जल्द ही रिश्ते में तनाव आ गया और पत्नी ने पति के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। व्यक्ति के वकील का तर्क था कि उसने आयकर विभाग में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि शिकायत आयकर अधिनियम, 1961 के तहत किसी विधिक प्रक्रिया का हिस्सा नहीं थी, इसलिए इस पर विभाग की ओर से जवाब न देना किसी कानूनी अधिकार का उल्लंघन नहीं माना जा सकता।
पीठ ने इस याचिका को ‘बेवजह की जांच’ (Roving and Fishing Inquiry) बताते हुए इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया।