छत्तीसगढ़ के कपू गांव में एक दंपति ने पारंपरिक रीति-रिवाजों से हटकर एक अनोखी शादी की, जिसने सबका ध्यान आकर्षित किया है। इस दंपति ने अपने विवाह में भारतीय संविधान पर शपथ ली, न कि पारंपरिक शादी के समारोहों को अपनाया। उनकी इस निर्णय ने यह संदेश दिया कि वे विवाह के पारंपरिक रिवाजों से ज्यादा संविधान में विश्वास रखते हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, 18 दिसंबर को प्रतिमा लहरे (दुल्हन) और इमान लहरे (दूल्हा) ने शादी की। इस दौरान उन्होंने ‘सात फेरे’ या ‘बैंड बाजा’ जैसी पारंपरिक शादियों की रस्में नहीं निभाई। इसके बजाय, उन्होंने भारतीय संविधान पर शपथ ली और एक-दूसरे से जीवनभर साथ रहने का वादा किया। उनका यह कदम उनके समुदाय से लेकर अन्य लोगों के बीच एक नई सोच को प्रेरित कर रहा है।
इस अनोखी शादी में दंपति ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर के सामने शपथ ली, जो भारतीय संविधान के निर्माता हैं। इस अवसर पर उन्होंने एक-दूसरे को माला पहनाई और डॉ. अंबेडकर की मूर्ति के चारों ओर घूमकर अपनी शादी की औपचारिक घोषणा की।
इमान लहरे, दूल्हे ने इस फैसले की वजह बताते हुए कहा, “इस तरह की शादी से खर्चों में काफी बचत होती है। हमने अपने परिवार की सहमति से शादी करने का निर्णय लिया, ताकि अनावश्यक खर्चों से बचा जा सके।”
इस विवाह समारोह ने राज्य में महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म दिया है। कई लोगों ने इसे विवाह के लिए एक “अर्थपूर्ण तरीका” माना है। कुछ ने यह भी कहा है कि इस तरह की शादियाँ दूसरों के लिए एक उदाहरण बन सकती हैं। दंपति के माता-पिता और समुदाय के सदस्य इस अनोखी शादी के फैसले का समर्थन करते हुए नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दे रहे हैं।
यह शादी छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के कपू गांव में हुई, जो रायपुर से लगभग 350 किलोमीटर दूर है। दंपति, जो सतनामी समुदाय से हैं, ने 18 दिसंबर को शादी करने का दिन चुना, जो गुरु घासीदास की जयंती के दिन था।
इस शादी ने यह साबित कर दिया कि शादी केवल रिवाजों और परंपराओं के बारे में नहीं है, बल्कि यह दो व्यक्तियों के बीच विश्वास, प्यार और सम्मान का एक बंधन है। यह दंपति समाज में एक नई सोच की शुरुआत कर रहे हैं, जो दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।