इस प्रदेश के मुख्यमंत्री के पास है इतने करोड़ की संपत्ति, Mamta Banerjee है सबसे गरीब: ADR रिपोर्ट 2024

इस प्रदेश के मुख्यमंत्री के पास है इतने करोड़ की संपत्ति, Mamta Banerjee है सबसे गरीब: ADR रिपोर्ट 2024
इस प्रदेश के मुख्यमंत्री के पास है इतने करोड़ की संपत्ति, Mamta Banerjee है सबसे गरीब: ADR रिपोर्ट 2024

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने 30 दिसंबर 2024 को भारत के सभी 31 मुख्यमंत्रियों की संपत्ति और आपराधिक पृष्ठभूमि से संबंधित एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट ने मुख्यमंत्रियों की संपत्ति, देनदारियों और आपराधिक मामलों पर रोशनी डाली है। आइए विस्तार से देखें कि रिपोर्ट में क्या जानकारी दी गई है।

सबसे अमीर मुख्यमंत्री: एन. चंद्रबाबू नायडू

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू इस सूची में सबसे ऊपर हैं। उनकी कुल संपत्ति ₹931 करोड़ है, जो उन्हें देश का सबसे धनी मुख्यमंत्री बनाती है। नायडू के पास ₹10 करोड़ से अधिक की देनदारी भी है। उनकी संपत्ति में अचल और चल संपत्तियां शामिल हैं, जिनमें भूमि, अचल संपत्ति, निवेश और अन्य आय स्रोत शामिल हैं।

दूसरे और तीसरे स्थान पर: पेमा खांडू और सिद्धारमैया

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ₹332 करोड़ की संपत्ति के साथ दूसरे स्थान पर हैं। हालांकि, खांडू पर ₹180 करोड़ की देनदारी है, जो किसी भी मुख्यमंत्री के लिए सबसे अधिक है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ₹51.94 करोड़ की संपत्ति के साथ तीसरे स्थान पर हैं। सिद्धारमैया पर ₹23 करोड़ की देनदारी है।

सबसे गरीब मुख्यमंत्री: ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ₹15.38 लाख की संपत्ति के साथ सबसे कम संपत्ति वाली मुख्यमंत्री हैं। बनर्जी अपनी सादगी और मितव्ययिता के लिए जानी जाती हैं।

दूसरे और तीसरे सबसे गरीब मुख्यमंत्री

जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ₹55 लाख की संपत्ति के साथ दूसरे सबसे गरीब मुख्यमंत्री हैं। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ₹1.18 करोड़ की संपत्ति के साथ तीसरे स्थान पर हैं।

औसत संपत्ति और राष्ट्रीय औसत की तुलना

31 मुख्यमंत्रियों की कुल संपत्ति ₹1,630 करोड़ है। इसका मतलब है कि औसत रूप से प्रत्येक मुख्यमंत्री के पास ₹52.59 करोड़ की संपत्ति है। भारत के नागरिकों की औसत आय, जो 2023-2024 के लिए ₹1,85,854 थी, से तुलना करें तो यह आंकड़ा काफी अधिक है। वहीं, मुख्यमंत्रियों की औसत स्वयं की आय ₹13.64 लाख है, जो भारत की औसत आय से 7.3 गुना अधिक है।

आपराधिक मामलों की स्थिति

रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि 31 में से 13 मुख्यमंत्रियों (42%) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। इनमें से 10 मुख्यमंत्रियों (32%) ने गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। इन मामलों में हत्या के प्रयास, अपहरण, रिश्वतखोरी और आपराधिक धमकी जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं।

महिला मुख्यमंत्री: ममता बनर्जी और आतिशी

31 मुख्यमंत्रियों में केवल दो महिलाएं हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी। ममता बनर्जी अपनी सादगी और भ्रष्टाचार विरोधी रुख के लिए जानी जाती हैं, जबकि आतिशी शिक्षा और सामाजिक सुधारों पर जोर देती हैं।

मुख्यमंत्रियों की क्षेत्रीय स्थिति

  1. उत्तर भारत:
  • उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संपत्ति का खुलासा इस रिपोर्ट में नहीं हुआ है, लेकिन वे अपनी सादगी और प्रशासनिक सख्ती के लिए जाने जाते हैं।
  • हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और पंजाब के भगवंत मान अपेक्षाकृत कम संपत्ति वाले मुख्यमंत्रियों में शामिल हैं।
  1. दक्षिण भारत:
  • तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन भी उच्च संपत्ति वाले मुख्यमंत्रियों में गिने जाते हैं।
  • केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के पास सीमित संपत्ति है, लेकिन वे अपनी नीतियों के लिए जाने जाते हैं।
  1. पूर्वोत्तर:
  • पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों में पेमा खांडू सबसे प्रमुख हैं। उनकी संपत्ति और देनदारियां दोनों ही काफी अधिक हैं।
  1. पश्चिम भारत:
  • महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की संपत्ति और प्रशासनिक निर्णयों ने उन्हें चर्चित बनाया है।
  • गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल अपनी संपत्ति और नीतियों के लिए उल्लेखनीय हैं।

मुख्यमंत्रियों की देनदारियां

रिपोर्ट के अनुसार, पेमा खांडू, सिद्धारमैया और चंद्रबाबू नायडू जैसे प्रमुख मुख्यमंत्रियों की देनदारियां काफी अधिक हैं। इससे यह सवाल उठता है कि इन देनदारियों का असर उनके प्रशासन पर कैसा पड़ सकता है।

निष्कर्ष

एडीआर की रिपोर्ट यह दिखाती है कि भारत के मुख्यमंत्रियों के बीच संपत्ति और आपराधिक पृष्ठभूमि में बड़ा अंतर है। जहां कुछ मुख्यमंत्री अत्यधिक धनी हैं, वहीं कुछ सीमित संपत्ति के साथ भी प्रभावी नेतृत्व कर रहे हैं। आपराधिक मामलों का बड़ा प्रतिशत भी चिंता का विषय है।

यह रिपोर्ट इस बात पर भी ध्यान खींचती है कि मुख्यमंत्रियों की संपत्ति और उनकी देनदारियों का उनके प्रशासन और जनता पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। इससे यह साफ है कि नेतृत्व की पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।