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Chhath Puja 2025: नहाय-खाय में कद्दू-भात, व्रतियों के लिए सात्विक भोजन का महत्व

Chhath Puja 2025: नहाय-खाय में कद्दू-भात, व्रतियों के लिए सात्विक भोजन का महत्व
Chhath Puja 2025: नहाय-खाय में कद्दू-भात, व्रतियों के लिए सात्विक भोजन का महत्व

पटना: छठ पूजा का पहला दिन, जिसे “नहाय-खाय” कहा जाता है, व्रतियों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन व्रती स्नान कर अपने शरीर और मन की शुद्धि करते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। इस दिन का प्रमुख व्यंजन है कद्दू-भात, जिसे पारंपरिक रूप से बनाया और खाया जाता है।

कद्दू-भात न केवल स्वादिष्ट व्यंजन है, बल्कि यह छठ पर्व की आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत का प्रतीक भी है। कद्दू को धरती की देन माना जाता है और यह हल्का व सुपाच्य होने के कारण व्रती के तन-मन को पवित्र करता है। कद्दू में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जो पाचन को बेहतर बनाता है और लंबे समय तक पेट भरा रखने में मदद करता है। साथ ही, इसमें कम कैलोरी होने के कारण व्रत के दौरान भूख का एहसास कम होता है। कद्दू में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स और पोषक तत्व व्रतियों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। वहीं, चावल में मौजूद कार्बोहाइड्रेट शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और लंबी पूजा व निर्जला व्रत के दौरान थकावट कम करता है।

नहाय-खाय के दिन मसालेदार और तैलीय भोजन से परहेज़ किया जाता है। कद्दू-भात हल्का, सुपाच्य और ऊर्जा देने वाला भोजन है, जो शरीर को आगे आने वाले खरना और अर्घ्य व्रत की तैयारी में मदद करता है। यह परंपरा सदियों पुरानी है और न केवल आस्था और धार्मिकता का प्रतीक है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का भी माध्यम है। घरों में इसे साधारण चावल और चना दाल के साथ बनाया जाता है।

बिहार और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में नहाय-खाय के दिन कद्दू-भात की खुशबू पूरे मोहल्लों में फैलती है। महिलाएं घर की सफाई, पूजा की तैयारी और प्रसाद बनाने में व्यस्त रहती हैं। यह पर्व केवल आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि समाजिक जुड़ाव और सांस्कृतिक पहचान का भी माध्यम है। छठ पर्व का यह पहला दिन व्रतियों को शरीर और मन की तैयारी कराता है और अगले तीन दिनों के कठिन व्रत की नींव रखता है। यही कारण है कि नहाय-खाय में कद्दू-भात खाने की परंपरा आज भी उतनी ही जीवंत है जितनी सदियों पहले थी।

Andhra Pradesh Bus Accident: कुर्नूल में हैदराबाद-बेंगलुरु रोड पर बस में आग, 20 की मौत

Andhra Pradesh Bus Accident: कुर्नूल में हैदराबाद-बेंगलुरु रोड पर बस में आग, 20 की मौत
Andhra Pradesh Bus Accident: कुर्नूल में हैदराबाद-बेंगलुरु रोड पर बस में आग, 20 की मौत

नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले में हैदराबाद-बेंगलुरु हाईवे पर एक स्लीपर बस में आग लगने से कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। बस में कुल 42 यात्री सवार थे। घटना शुक्रवार की भोर में हुई जब बस चिननेतेकुर गांव के पास एक मोटरसाइकिल से टकरा गई और अचानक आग लग गई।

फायर ब्रिगेड अधिकारियों के अनुसार, आग पर काबू पा लिया गया है और ठंडा करने के कार्य जारी हैं। शुरुआती जानकारी के अनुसार, अब तक बस के जलते हुए हिस्सों से 20 शव बरामद किए गए हैं और 15 गंभीर रूप से जल चुके यात्रियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

यह बस एक निजी एजेंसी, कालेश्वरम ट्रैवल्स, की थी। पुलिस ने बताया कि घटना के समय बस में ड्राइवर और सहायक सहित कुल 42 लोग सवार थे।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस दुखद घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए परिवारों के प्रति संवेदना जताई और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की।

मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने भी मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और प्रभावितों की सहायता के लिए सभी संभव कदम उठाने का आश्वासन दिया। उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों से संपर्क कर घटना की जानकारी ली और वरिष्ठ अधिकारियों को तुरंत स्थल पर भेजकर बचाव और राहत कार्यों में शामिल होने का निर्देश दिया।

पूर्व मुख्यमंत्री और वाईएसआरसीपी अध्यक्ष वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने भी इस दर्दनाक हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हैदराबाद से बेंगलुरु जा रही बस में लगी आग के कारण कई यात्रियों की जलकर मृत्यु अत्यंत दुखद है और उन्होंने मृतकों के परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की।

अधिकारियों ने बताया कि राहत और बचाव कार्य जारी हैं और मृतकों की संख्या और घायलों की स्थिति की पुष्टि की जा रही है। स्थानीय प्रशासन और पुलिस मौके पर बचाव कार्य में जुटी हुई है।

Lokpal News: लोकपाल के सात बीएमडब्ल्यू कारों का ऐलान, भ्रष्टाचार की जांच करने वाली संस्था ने अब तक एक भी केस नहीं सुलझाया

Lokpal News: लोकपाल के सात बीएमडब्ल्यू कारों का ऐलान, भ्रष्टाचार की जांच करने वाली संस्था ने अब तक एक भी केस नहीं सुलझाया
Lokpal News: लोकपाल के सात बीएमडब्ल्यू कारों का ऐलान, भ्रष्टाचार की जांच करने वाली संस्था ने अब तक एक भी केस नहीं सुलझाया

नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी भ्रष्टाचार निरोधक संस्था लोकपाल ने सात बीएमडब्ल्यू कारों की खरीद का टेंडर जारी किया है, और ये खबर सुनते ही लोगों में गुस्सा और हैरानी दोनों पैदा हो गई है। ऐसी संस्था, जिसे भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता की उम्मीदों के नाम पर बनाया गया था, अब खुद लग्जरी कारों में उलझी दिख रही है। और सवाल उठता है क्या यही है वो लोकपाल जो 9,000 से ज्यादा लंबित मामलों में सिर्फ 7 का निपटान कर पाया?

भ्रष्टाचार पर निगरानी रखने वाली संस्था अब पांच करोड़ रुपये की लग्जरी कारें खरीदने की तैयारी में है। यह वही लोकपाल है, जिसे मोदी सरकार ने इतना कमजोर कर दिया कि उसके सदस्य न भ्रष्टाचार की चिंता करते हैं और न जनता की। देश पूछ रहा है, जब जनता के पैसे और उम्मीदों की बात है, तो क्या यह लोकपाल सिर्फ सत्ता और विलासिता के लिए बना है?

कांग्रेस और सोशल एक्टिविस्ट्स का कहना है कि यह कदम सिर्फ दिखावा और फिजूलखर्ची है। प्रशांत भूषण ने भी तंज कसते हुए कहा कि मोदी सरकार ने लोकपाल को “धूल में मिला दिया” और अब उसके चुने हुए सदस्य सिर्फ आराम और सुख-सुविधाओं में मग्न हैं।

लोकपाल का नाम भ्रष्टाचार के खिलाफ आखिरी प्रहरी के रूप में लिया जाता था, लेकिन अब वही संस्था जनता की आँखों में सिर्फ विलासिता का प्रतीक बनकर रह गई है। 9,000 केस लंबित हैं, लेकिन सात BMW कारें मंगाई जा रही हैं। जनता पूछ रही है क्या यही देश की सेवा है या सिर्फ सत्ता का खेल?

टीएमसी सांसद सागरिका घोष ने भी कहा कि यह न सिर्फ लोकपाल की छवि बल्कि लोकतंत्र की साख पर भी चोट है। भ्रष्टाचार की जांच की बजाय यह संस्था खुद विलासिता में डूबी हुई है। देश की जनता अब तर्क कर रही है अगर यही लोकपाल की प्राथमिकता है, तो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई कहाँ जाएगी?

लोकपाल का यह कदम केवल एक संस्थागत घोटाला नहीं, बल्कि जनता की उम्मीदों के साथ धोखा है। और बीजेपी सरकार इस मामले में चुप रहकर स्पष्ट कर रही है कि जनता के पैसे से विलासिता ही उनकी प्राथमिकता है।

Manohar Lal Khattar News: पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एक करोड़ में बेची अपनी पैतृक जमीन

Manohar Lal Khattar News: पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एक करोड़ में बेची अपनी पैतृक जमीन
Manohar Lal Khattar News: पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एक करोड़ में बेची अपनी पैतृक जमीन

रोहतक: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने समाज सेवा की एक मिसाल पेश करते हुए अपने पैतृक गांव की जमीन एक करोड़ रुपये में बेच दी है। इस सौदे से प्राप्त पूरी राशि उन्होंने प्रधानमंत्री राहत कोष में दान करने का निर्णय लिया है। जानकारी के अनुसार, खट्टर ने गुरुवार को रोहतक तहसील कार्यालय में जाकर जमीन की रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी की। यह जमीन उनके परिवार की संपत्ति थी और लंबे समय से इसके विक्रय पर विचार किया जा रहा था। उन्होंने बताया कि यह निर्णय पूरी तरह सामाजिक जिम्मेदारी की भावना से प्रेरित है, ताकि जरूरतमंद लोगों की सहायता की जा सके।

खट्टर ने कहा कि प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा की गई यह राशि देशभर में आपदाओं से प्रभावित लोगों के पुनर्वास और सहायता कार्यों में उपयोग होगी। उन्होंने इसे समाज के प्रति अपने नैतिक दायित्व के रूप में बताया। पूर्व मुख्यमंत्री के इस कदम की व्यापक सराहना हो रही है। सोशल मीडिया पर लोग इसे एक प्रेरणादायक उदाहरण बता रहे हैं, जिससे सार्वजनिक जीवन में सेवा और त्याग की भावना को बल मिलता है। मनोहर लाल खट्टर ने अपने राजनीतिक जीवन में सादगी और सेवा की नीति को हमेशा प्राथमिकता दी है। जमीन बिक्री की पूरी राशि दान करने का उनका यह कदम एक बार फिर उनके सामाजिक समर्पण को दर्शाता है।

Jan Nayak Karpoori Thakur: कैसे बने बिहार की राजनीति के समाजवादी प्रतीक, जानिए उनकी विरासत और महत्व

Jan Nayak Karpoori Thakur: कैसे बने बिहार की राजनीति के समाजवादी प्रतीक, जानिए उनकी विरासत और महत्व
Jan Nayak Karpoori Thakur: कैसे बने बिहार की राजनीति के समाजवादी प्रतीक, जानिए उनकी विरासत और महत्व

पटना: बिहार की राजनीति में कर्पूरी ठाकुर का नाम आज भी सामाजिक न्याय और समानता के प्रतीक के रूप में लिया जाता है। समाजवादी विचारधारा से प्रेरित होकर उन्होंने अपने जीवनभर वंचित, पिछड़े और गरीब तबकों के हक के लिए संघर्ष किया। दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर को उनकी नीतियों और ईमानदार छवि के कारण जनता ने ‘जन नायक’ का दर्जा दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को बिहार में अपने चुनावी अभियान की शुरुआत करते हुए समस्तीपुर के कर्पूरी ग्राम जाएंगे, जहां वे भारत रत्न से सम्मानित समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को श्रद्धांजलि देंगे और उनके परिवार से मुलाकात करेंगे। एनडीए के लिए यह दौरा बिहार चुनाव अभियान की एक महत्वपूर्ण शुरुआत मानी जा रही है, क्योंकि कर्पूरी ठाकुर का नाम राज्य की राजनीति में गहराई से जुड़ा हुआ है।

सामाजिक न्याय और आरक्षण की नीति

1977 में मुख्यमंत्री के रूप में कर्पूरी ठाकुर ने ऐतिहासिक आरक्षण नीति लागू की, जिसे बाद में “कर्पूरी ठाकुर फॉर्मूला” के नाम से जाना गया। इस नीति के तहत 12 प्रतिशत आरक्षण अति पिछड़ा वर्ग (EBC) को, 8 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग (OBC) को, 3 प्रतिशत महिलाओं को और 3 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को दिया गया। यह कदम उस समय सामाजिक न्याय की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल थी, जिसने बिहार की सामाजिक-राजनीतिक संरचना को गहराई से प्रभावित किया।

शिक्षा सुधार और शराबबंदी

कर्पूरी ठाकुर ने शिक्षा के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने मैट्रिक परीक्षा में अंग्रेजी को अनिवार्य विषय से हटाया ताकि ग्रामीण और गरीब तबकों के छात्र आसानी से शिक्षा प्राप्त कर सकें। उन्होंने प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था की और पिछड़े इलाकों में नए विद्यालय और कॉलेज खोले। अपने शासनकाल में उन्होंने बिहार में पूर्ण शराबबंदी भी लागू की, जो उनके नैतिक और सामाजिक सुधारवादी दृष्टिकोण को दर्शाती है।

सादगी और समाजवाद की मिसाल

कर्पूरी ठाकुर न केवल समाजवादी राजनीति के प्रतीक थे, बल्कि व्यक्तिगत जीवन में सादगी और ईमानदारी के लिए भी जाने जाते थे। वे पहले गैर-कांग्रेसी समाजवादी मुख्यमंत्री थे जिन्होंने सत्ता को जनसेवा का माध्यम बनाया। उनकी नीतियों का केंद्र हमेशा गरीब, मजदूर, किसान और पिछड़े वर्ग रहे।

भारत रत्न से सम्मानित

भारत सरकार ने कर्पूरी ठाकुर के योगदान को मान्यता देते हुए उन्हें मरणोपरांत 23 जनवरी 2024 को भारत रत्न से सम्मानित किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यह घोषणा उनके जन्मशताब्दी वर्ष की पूर्व संध्या पर की थी। यह सम्मान न केवल एक व्यक्ति की उपलब्धियों का, बल्कि सामाजिक न्याय के उस आदर्श का भी प्रतीक है जिसे कर्पूरी ठाकुर ने जीवनभर जिया।

आज भी बिहार की राजनीति में ‘जन नायक’ कर्पूरी ठाकुर की विरासत जीवित है। राज्य के विभिन्न राजनीतिक दल उनके आदर्शों और समाजवादी दृष्टिकोण को अपने राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बनाते हैं। उनके विचार और नीतियाँ बिहार की सामाजिक संरचना और राजनीति के केंद्र में बनी हुई हैं।

उमा भारती ने 2029 लोकसभा चुनाव लड़ने का किया ऐलान, इस सीट से उतरने की जताई इच्छा, रखीं दो शर्तें

उमा भारती ने 2029 लोकसभा चुनाव लड़ने का किया ऐलान, इस सीट से उतरने की जताई इच्छा, रखीं दो शर्तें
उमा भारती ने 2029 लोकसभा चुनाव लड़ने का किया ऐलान, इस सीट से उतरने की जताई इच्छा, रखीं दो शर्तें

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने अपने राजनीतिक इरादों को स्पष्ट करते हुए कहा है कि वह 2029 के लोकसभा चुनाव में झांसी सीट से चुनाव लड़ने की इच्छुक हैं। हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि वह तभी चुनाव लड़ेंगी जब भारतीय जनता पार्टी उनसे आधिकारिक रूप से आग्रह करेगी और झांसी के मौजूदा सांसद अनुराग शर्मा को उनके निर्णय से कोई असुविधा नहीं होगी।

उमा भारती ने कहा, “अगर मैं चुनाव लड़ती हूं तो झांसी से लड़ूंगी। मेरी इच्छा लोकसभा चुनावों में भाग लेने की है। अगर पार्टी कहेगी तो मैं चुनाव लड़ूंगी, मैं इंकार नहीं करूंगी। राजनीति में मैं हाशिए पर नहीं हूं। मैं गाय और गंगा के कार्य के लिए पूरी निष्ठा से काम कर रही हूं और मेरी राजनीति में कोई व्यक्तिगत रुचि नहीं है।”

‘झांसी से चुनाव की इच्छा कैजुअली कही थी’

पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि यह बयान उन्होंने 18 अक्टूबर को ललितपुर रेलवे स्टेशन पर भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ एक अनौपचारिक बातचीत के दौरान दिया था। उन्होंने कहा, “मैं टिकमगढ़ से ललितपुर ट्रेन पकड़ने आई थी, वहां मैंने कहा था कि मैं 2029 का चुनाव झांसी से लड़ना चाहूंगी। यह मैंने कैजुअली कहा था, लेकिन मैं अपने बयान पर कायम हूं।”

दो शर्तों के साथ चुनावी संकेत

उमा भारती ने अपने बयान में दो स्पष्ट शर्तें रखीं —

  1. भाजपा को उन्हें आधिकारिक रूप से उम्मीदवार बनाने का आग्रह करना होगा।
  2. झांसी के वर्तमान सांसद अनुराग शर्मा को इस फैसले से कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

गाय और गंगा के संरक्षण में सक्रिय

राजनीति से दूर रहने के बावजूद उमा भारती सामाजिक और धार्मिक अभियानों में सक्रिय हैं। उन्होंने घोषणा की है कि 29 अक्टूबर (गोवर्धन दिवस) के अवसर पर वह गाय संरक्षण अभियान की शुरुआत करेंगी, जो डेढ़ साल तक चलेगा। इस अभियान में ग्राम पंचायतों और किसानों की भागीदारी होगी।

उन्होंने कहा, “गायें तभी जीवित रह सकती हैं जब किसान उन्हें पालना चाहें। हर लाड़ली बहन को दो गायें दी जानी चाहिए, क्योंकि महिलाएं सच्चाई और निष्ठा से उनकी देखभाल करेंगी।”

भारती ने प्रस्ताव रखा कि गौशालाओं में केवल बीमार या अनुपयुक्त गायें ही रखी जाएं, जबकि स्वस्थ गायों को किसानों को सौंपा जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि गाय पालन करने वाले किसानों को मासिक 10,000 रुपये की आर्थिक सहायता और भूमि समर्थन दिया जाए।

गंगा सफाई अभियान का ऐलान

उमा भारती ने बताया कि वह 4 नवंबर को प्रयागराज से गंगा सफाई अभियान की शुरुआत करेंगी, जिसमें देशभर के कई प्रमुख लोग शामिल होंगे। उन्होंने कहा, “गाय और गंगा आत्मनिर्भर भारत के दो स्तंभ हैं। रासायनिक प्रदूषण को रोकने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना जरूरी है ताकि खेतों के रसायन सीधे गंगा में न जाएं।”

उमा भारती ने यह भी बताया कि अरब देशों में गाय संरक्षण के लिए एक विशेष फंड बनाया जा रहा है और इस मुद्दे पर उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से भी चर्चा की है।

राजनीतिक हलकों में अब उमा भारती के इस बयान को 2029 लोकसभा चुनाव के लिए वापसी के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

त्रिपुरा में आज 24 घंटे का बंद, सिविल सोसाइटी ने उठाई 8 मांगें

त्रिपुरा में आज 24 घंटे का बंद, सिविल सोसाइटी ने उठाई 8 मांगें
त्रिपुरा में आज 24 घंटे का बंद, सिविल सोसाइटी ने उठाई 8 मांगें

अगरतला: त्रिपुरा सिविल सोसाइटी ने गुरुवार को राज्यव्यापी 24 घंटे के बंद का आह्वान किया है। यह बंद टिपरा मोथा पार्टी (TMP) समर्थित सिविल सोसाइटी द्वारा अपनी आठ सूत्री मांगों को लेकर बुलाया गया है। आंदोलन का नेतृत्व टीएमपी विधायक रंजीत देबबर्मा कर रहे हैं।

देबबर्मा ने कहा कि बंद के दौरान राज्य भर में लगभग 25 स्थानों पर पिकेटिंग की जाएगी। राजधानी अगरतला में सर्किट हाउस, नॉर्थ गेट और राज्य विधानसभा परिसर जैसे प्रमुख इलाकों में भी बैरिकेड लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा,
“यह कोई राजनीतिक आंदोलन नहीं है। यह जनता का आंदोलन है, जिसमें सभी वर्गों के लोग शामिल होंगे। हमारा उद्देश्य बंद को शांतिपूर्वक सफल बनाना है।”

बंद की प्रमुख मांगें:
त्रिपुरा सिविल सोसाइटी ने सरकार के समक्ष आठ प्रमुख मांगें रखी हैं —

  1. गृह मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार राज्य में अवैध विदेशी घुसपैठियों की पहचान।
  2. प्रत्येक जिले में अवैध प्रवासियों के लिए डिटेंशन कैंप की स्थापना।
  3. बीएसएफ और असम राइफल्स के जवानों की विशेष टास्क फोर्स का गठन।
  4. राज्य में इनर लाइन परमिट (ILP) प्रणाली लागू करना ताकि अवैध घुसपैठ पर रोक लगाई जा सके।
  5. ट्राइ-पार्टाइट टिप्रासा समझौते का शीघ्र क्रियान्वयन।
  6. कोकबोरोक भाषा के लेखन के लिए रोमन लिपि को आधिकारिक मान्यता।
  7. फर्जी अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) प्रमाणपत्रों की रद्दीकरण।
  8. 4 सितंबर 2024 को हस्ताक्षरित त्रिपक्षीय समझौते (भारत सरकार, त्रिपुरा सरकार और ATTF-NLFT के बीच) को तत्काल लागू किया जाए।

सरकार ने कहा – सभी दफ्तर खुले रहेंगे

राज्य सरकार ने बंद के बावजूद सभी सरकारी कार्यालय खुले रखने का निर्देश दिया है। सूचना और सांस्कृतिक मामलों (ICA) विभाग द्वारा जारी बयान में कहा गया,
“सरकार के संज्ञान में आया है कि कुछ संगठनों ने 23 अक्टूबर को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है। इस दिन सभी सरकारी दफ्तर और उपक्रम खुले रहेंगे, और कर्मचारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे सामान्य रूप से कार्य करें।”

सरकार ने सभी विभागों को निर्देश दिया है कि वे 23 अक्टूबर को कर्मचारियों की उपस्थिति की जानकारी सामान्य प्रशासन विभाग को भेजें।

शांति बनाए रखने की तैयारी

राज्य पुलिस पीआरओ राजदीप देब ने कहा कि बंद के दौरान किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो, इसके लिए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। पुलिस ने सभी जिलों में गश्त बढ़ा दी है और संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं। बंद के कारण परिवहन और बाजारों पर आंशिक असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है।

Bihar Election 2025: महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को बनाया मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार

Bihar Election 2025: महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को CM Face किया घोषित
Bihar Election 2025: महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को CM Face किया घोषित

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन ने अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर सहमति बना ली है। सूत्रों के अनुसार, आज पटना में होने वाले प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव को औपचारिक रूप से महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया जाएगा। इस ऐलान से पहले जारी किए गए प्रेस कॉन्फ्रेंस के पोस्टर ने भी बड़ा संकेत दिया है, जिसमें केवल तेजस्वी यादव की तस्वीर दिखाई गई है। पोस्टर पर महागठबंधन का नया चुनावी नारा “चलो बिहार, बदलें बिहार” और हैशटैग “बिहार चाहता है तेजस्वी सरकार” भी लिखा गया है।

महागठबंधन के घटक दलों राजद, कांग्रेस और अन्य छोटे दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर पिछले कई दिनों से बातचीत चल रही थी। हालांकि अभी भी कुछ सीटों पर मतभेद बने हुए हैं, लेकिन मुख्यमंत्री चेहरे पर अब एकमत सहमति बन गई है। कांग्रेस के बिहार पर्यवेक्षक और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को पटना पहुंचकर इस सहमति को अंतिम रूप देने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से मुलाकात की। बैठक के बाद गहलोत ने कहा, “हमारी लालू जी और तेजस्वी यादव से बहुत अच्छी चर्चा हुई। गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा। हम एनडीए के खिलाफ मजबूती से चुनाव लड़ेंगे। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव संयुक्त रूप से प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगे। 243 सीटों में से कुछ पर मित्रवत मुकाबला संभव है, लेकिन हम एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे।”

महागठबंधन का यह फैसला नामांकन वापसी के आखिरी दिन आया है। अब तेजस्वी यादव के नेतृत्व में गठबंधन “बदलाव” के नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में है।

IND vs AUS 2nd ODI: विराट कोहली लगातार दूसरे मैच में 0 पर Out, करियर में पहली बार दो ‘डक’

IND vs AUS 2nd ODI: विराट कोहली लगातार दूसरे मैच में 0 पर Out, करियर में पहली बार दो ‘डक’
IND vs AUS 2nd ODI: विराट कोहली लगातार दूसरे मैच में 0 पर Out, करियर में पहली बार दो ‘डक’

एडिलेड: टीम इंडिया के दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली के लिए ऑस्ट्रेलिया दौरा अब तक बेहद निराशाजनक रहा है। एडिलेड में खेले जा रहे दूसरे वनडे मैच में वह लगातार दूसरी बार शून्य (0) पर आउट हो गए। पर्थ में पहले वनडे में उन्होंने 8 गेंदें खेलीं, जबकि एडिलेड में सिर्फ 4 गेंदों का सामना कर पाए।

पहले मैच में उन्हें मिचेल स्टार्क की गेंद पर कूपर कोनॉली ने शानदार कैच पकड़कर पर्थ के मैदान को सन्न कर दिया था, जहां करीब 90 फीसदी दर्शक भारतीय थे। वहीं एडिलेड में 26 साल के स्थानीय तेज गेंदबाज जैवियर बार्टलेट ने विराट को एलबीडब्ल्यू आउट किया।

‘एडिलेड के फैंस का शुक्रिया’

मैदान से लौटते वक्त विराट ने एडिलेड ओवल में मौजूद दर्शकों की तालियों का अभिवादन स्वीकार किया। उन्होंने अपनी कृतज्ञता जताई और सिर झुकाकर फैंस को धन्यवाद कहा। यह दृश्य इस बात का प्रमाण था कि भले ही उनका बल्ला इस समय खामोश है, लेकिन उनके कद और योगदान के प्रति लोगों का सम्मान बरकरार है।

करियर में पहली बार लगातार दो ‘डक’

विराट कोहली के शानदार 304 वनडे मुकाबलों के करियर में यह पहली बार है जब वह लगातार दो मैचों में बिना खाता खोले पवेलियन लौटे हैं। भारत के लिए यह झटका उस वक्त आया है जब टीम को सीरीज़ में बने रहने के लिए एडिलेड मैच जीतना बेहद जरूरी है।

टीम प्रबंधन फिलहाल किसी बड़े फैसले से बचना चाहता है, लेकिन यह भी सच है कि विराट और रोहित शर्मा जैसे वरिष्ठ खिलाड़ियों के लिए “उलटी गिनती” की चर्चाएं जोरों पर हैं।

‘असफलता सिखाती है जो सफलता नहीं सिखा सकती’

सीरीज़ शुरू होने से पहले विराट कोहली ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा था,

“आप फेल तभी होते हैं जब आप हार मान लेते हैं।”

और उसी दिन उन्होंने एक और पोस्ट में लिखा था,

“असफलता (आपको) वो सिखाती है जो कामयाबी कभी नहीं सिखाएगी।”

अब यही बातें उनके फैंस और आलोचक दोनों याद कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर आलोचना और समर्थन

विराट के लगातार दो ‘डक’ के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। कुछ फैंस इसे उनके करियर के अंत की शुरुआत बता रहे हैं, जबकि कुछ अब भी उन्हें “वापसी का बादशाह” मानते हैं। कई यूज़र्स ने मज़ाकिया ट्वीट किए हैं, तो कुछ ने उनके रिटायरमेंट की भविष्यवाणी तक कर दी है।

क्या यह अंत की शुरुआत है?

36 वर्षीय विराट कोहली अपने करियर के उस दौर में हैं जहां हर रन और हर पारी अहम है। आलोचनाएं तेज हैं, लेकिन इतिहास गवाह है कि विराट ने कई बार अपने बल्ले से जवाब दिया है। सवाल अब यह है कि क्या वह एक बार फिर आलोचकों को चुप करा पाएंगे, या यह सच में उनके सुनहरे अध्याय की ढलती शाम है?

Who was Ranjan Pathak: दिल्ली मुठभेड़ में मारा गया बिहार का कुख्यात ‘सिग्मा गैंग’ सरगना रंजन पाठक

Who was Ranjan Pathak: दिल्ली मुठभेड़ में मारा गया बिहार का कुख्यात ‘सिग्मा गैंग’ सरगना रंजन पाठक
Who was Ranjan Pathak: दिल्ली मुठभेड़ में मारा गया बिहार का कुख्यात ‘सिग्मा गैंग’ सरगना रंजन पाठक

नई दिल्ली: दिल्ली के रोहिणी इलाके में बुधवार देर रात हुई एक बड़ी पुलिस मुठभेड़ में बिहार का कुख्यात गैंगस्टर रंजन पाठक मारा गया। इस एनकाउंटर में उसके तीन सहयोगी भी ढेर हो गए। यह कार्रवाई दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच और बिहार पुलिस की संयुक्त टीम ने की थी।

कौन था रंजन पाठक?

रंजन पाठक बिहार के सीतामढ़ी जिले का रहने वाला और कुख्यात आपराधिक गिरोह ‘सिग्मा एंड कंपनी’ का सरगना था। महज 25 साल की उम्र में उसने अपराध की दुनिया में बड़ी पहचान बना ली थी। उसका गैंग बिहार के साथ-साथ झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल सीमा तक फैला हुआ था।

उसका गिरोह रंगदारी वसूली, सुपारी किलिंग, अवैध हथियारों की आपूर्ति और कई बड़े हत्याकांडों में शामिल था। रंजन पाठक ने अपने गैंग के नाम की घोषणा एक पर्चे के ज़रिए की थी, जिसमें उसने “Sigma and Company” का नाम सार्वजनिक किया था।

हत्याओं की लंबी श्रृंखला

पाठक के गिरोह ने सीतामढ़ी में आदित्य सिंह की हत्या के बाद परोहा पंचायत की मुखिया रानी देवी के जीजा मदन कुशवाहा की हत्या की थी। इसके अलावा ब्रहमर्षि सेना के जिला अध्यक्ष राम मनोहर शर्मा को भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

मीडिया को फोन कर इन हत्याओं की जिम्मेदारी खुद रंजन पाठक ने ली थी। पर्चे में उसने पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगाए थे, यह कहते हुए कि जिला पुलिस भ्रष्टाचार, जातीय राजनीति और समाज विरोधी तत्वों के प्रभाव में काम कर रही है। उसने दावा किया था कि पुलिस ने रिश्वत लेकर उसे झूठे मामलों में फंसा दिया, जिससे वह अपराध के रास्ते पर चला गया।

शेओहर में दिनदहाड़े हत्या

सीतामढ़ी से सटे शेओहर जिले में भी रंजन पाठक और उसके साथियों ने दिनदहाड़े गुड्डू झा की हत्या कर दी थी। इस मामले में पुलिस और एसटीएफ के साथ मुठभेड़ के दौरान उसके कुछ साथी घायल हुए, लेकिन रंजन पाठक भागने में सफल रहा था। उसके खिलाफ हत्या, लूट और रंगदारी वसूली के कई मामले दर्ज थे।

दिल्ली में हुआ अंत

कई महीनों से पुलिस उसकी गतिविधियों पर नजर रखे हुए थी। चुनाव से पहले किसी बड़ी वारदात को रोकने के लिए पुलिस ने दिल्ली में उसके ठिकाने की पहचान की और बुधवार देर रात संयुक्त अभियान चलाया। इस दौरान हुई मुठभेड़ में रंजन पाठक और उसके तीन साथियों की मौत हो गई। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, यह कार्रवाई बिहार विधानसभा चुनावों से पहले सुरक्षा सुनिश्चित करने और राज्य में अपराधियों की साजिशों को नाकाम करने के उद्देश्य से की गई थी।